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A curated collection of outstanding books in English and in Hindi, for children and young adults, by the Parag Initiative of Tata Trusts. This list, published annually, comprises noteworthy books of the year with brief information about each title. It has been created with careful screening and multiple reviews by experts in the children’s literature sector. The list aims to promote access to a comprehensive curated list of good quality children’s literature that librarians, teachers, parents and children can refer to and read.
To browse through the Parag Honour List books, click here.
As per this year’s criteria, we received original writings in the category of picture books, young readers and young adults, in fiction, non-fiction and poetry, from 26 Indian publishers, published between October, 2019 to September, 2020.
We hope this list will enable a wider readership to some of the best Indian children’s books!
Arvind Gupta did B.Tech from IIT Kanpur in 1975. He is primarily a toy maker but has an abiding interest in children’s books. He has won several awards for popularizing science including the Padma Shri. He shares his passion for books and toys through his popular website www.arvindguptatoys.com
There are very few inspiring picture biographies for children on Indian icons. I would like to see more picture books depicting the differently abled, marginalized, and communal harmony. Finally, I would like all Caldecott and Newbery Medal books to be translated in all Indian languages.
Arvind Gupta did B.Tech from IIT Kanpur in 1975. He is primarily a toy maker but has an abiding interest in children’s books. He has won several awards for popularizing science including the Padma Shri. He shares his passion for books and toys through his popular website www.arvindguptatoys.com
There are very few inspiring picture biographies for children on Indian icons. I would like to see more picture books depicting the differently abled, marginalized, and communal harmony. Finally, I would like all Caldecott and Newbery Medal books to be translated in all Indian languages.
Prachi Kalra is a storyteller who also teaches at Delhi University. She grew up listening to naughty stories from her grandmother. Now she teaches courses in how to teach reading and children’s literature. She believes that reading for pleasure is the best thing that you can do with your time. She loves telling the scariest ghost stories and dreams of opening a library one day.
Prachi Kalra is a storyteller who also teaches at Delhi University. She grew up listening to naughty stories from her grandmother. Now she teaches courses in how to teach reading and children’s literature. She believes that reading for pleasure is the best thing that you can do with your time. She loves telling the scariest ghost stories and dreams of opening a library one day.
Samina Mishra is a documentary filmmaker, writer, and teacher based in New Delhi, with a special interest in media for and about children. Her work uses the lens of childhood, identity and education to reflect the experiences of growing up in India. She also runs The Magic Key Centre for the Arts and Childhood.
Samina Mishra is a documentary filmmaker, writer, and teacher based in New Delhi, with a special interest in media for and about children. Her work uses the lens of childhood, identity and education to reflect the experiences of growing up in India. She also runs The Magic Key Centre for the Arts and Childhood.
अरुंधती देवस्थले विश्व बालसाहित्य में गहरी दिलचस्पी और कई संस्कृतियों के बीच काम, संस्थाओं से जुड़ाव का सौभाग्य। यूरोपीय भाषाओं से पिक्चर बुक्स का हिंदी, मराठी और अंग्रेज़ी में अनुवाद और संपादन। फिलहाल उत्तराखंड के गाँवों में बच्चों को पढ़ाने और वाचनालय चलाने का काम, लड़कियों की शिक्षा और प्रगति के लिए विशेष प्रयास।
अरुंधती देवस्थले विश्व बालसाहित्य में गहरी दिलचस्पी और कई संस्कृतियों के बीच काम, संस्थाओं से जुड़ाव का सौभाग्य। यूरोपीय भाषाओं से पिक्चर बुक्स का हिंदी, मराठी और अंग्रेज़ी में अनुवाद और संपादन। फिलहाल उत्तराखंड के गाँवों में बच्चों को पढ़ाने और वाचनालय चलाने का काम, लड़कियों की शिक्षा और प्रगति के लिए विशेष प्रयास।
गुरबचन सिंह ने चार दशक तक सार्वजनिक स्कूली शिक्षा में काम किया है। इस दौरान वे राज्यसंसाधन केन्द्र, भोपाल के निदेशक रहे हैं। टीकमगढ़ के बाल साहित्य केन्द्र के संस्थापक सदस्य हैं। शैक्षिक “पलाश” और बच्चों की पत्रिका “गुल्लक” के सम्पादक रहे हैं। बाल साहित्य में विशेष रुचि है और इसे बच्चों और किशोरों की अच्छी शिक्षा में अनिवार्य अवयव के रूप में देखते हैं। फिलहाल अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित शैक्षिक पत्रिका “पाठशाला भीतर और बाहर” के कार्यकारी संपादक हैं।
गुरबचन सिंह ने चार दशक तक सार्वजनिक स्कूली शिक्षा में काम किया है। इस दौरान वे राज्यसंसाधन केन्द्र, भोपाल के निदेशक रहे हैं। टीकमगढ़ के बाल साहित्य केन्द्र के संस्थापक सदस्य हैं। शैक्षिक “पलाश” और बच्चों की पत्रिका “गुल्लक” के सम्पादक रहे हैं। बाल साहित्य में विशेष रुचि है और इसे बच्चों और किशोरों की अच्छी शिक्षा में अनिवार्य अवयव के रूप में देखते हैं। फिलहाल अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित शैक्षिक पत्रिका “पाठशाला भीतर और बाहर” के कार्यकारी संपादक हैं।
सुनीता मिश्रा इंस्टिट्यूट ऑफ़ होम इकोनॉमिक्स के प्राथमिक शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं और भाषा-शिक्षण, भाषा-विज्ञान तथा बाल- साहित्य के विषय पढ़ाती हैं। बाल-साहित्य व कहानियों के माध्यम से भाषा-शिक्षण में उनकी विशेष रूचि है। भाषा के संज्ञानात्मक पहलू पर उनका शोध भी है और रूचि भी।
मेरे विचार से बाल-साहित्य का सबसे महत्वपूर्ण आयाम है बच्चों की कल्पनाशीलता और दुनिया को देखने-समझने के उनके नज़रिये के लिए पर्याप्त अवसर होना। बाल- साहित्य का उद्देश्य कहानियों में बच्चों को पात्र बना देना भर नहीं है बल्कि बच्चों के नज़रिये से दुनिया और जीवन के अनुभवों को समझना है। यहाँ दो बात ज़रूरी हैं – १. हमेशा ही अति सरल या सकारात्मक होना आवश्यक नहीं है और, २. किशोरों के लिए भी बाल-साहित्य में सामग्री होनी चाहिए।
सुनीता मिश्रा इंस्टिट्यूट ऑफ़ होम इकोनॉमिक्स के प्राथमिक शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं और भाषा-शिक्षण, भाषा-विज्ञान तथा बाल- साहित्य के विषय पढ़ाती हैं। बाल-साहित्य व कहानियों के माध्यम से भाषा-शिक्षण में उनकी विशेष रूचि है। भाषा के संज्ञानात्मक पहलू पर उनका शोध भी है और रूचि भी।
मेरे विचार से बाल-साहित्य का सबसे महत्वपूर्ण आयाम है बच्चों की कल्पनाशीलता और दुनिया को देखने-समझने के उनके नज़रिये के लिए पर्याप्त अवसर होना। बाल- साहित्य का उद्देश्य कहानियों में बच्चों को पात्र बना देना भर नहीं है बल्कि बच्चों के नज़रिये से दुनिया और जीवन के अनुभवों को समझना है। यहाँ दो बात ज़रूरी हैं – १. हमेशा ही अति सरल या सकारात्मक होना आवश्यक नहीं है और, २. किशोरों के लिए भी बाल-साहित्य में सामग्री होनी चाहिए।