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सच्ची और रोमांचक कहानियाँ

‘सच्ची और रोमांचक कहानियाँ’ पाँच ऐसी घटनाओं पर आधारित हैं जो अलग-अलग जगहों और समयों से ली गई हैं—कहीं आइन्स्टाइन का शहर, कहीं बर्फ़ीली रात की रेल-यात्रा या किसी विदेश के संग्रहालय में बंद हो जाने का अनुभव। हर कहानी में सिहरन और अचरज है, लेकिन भाषा बिल्कुल सहज, बोलचाल की है, जो पाठक को तुरंत अपनी ओर खींच लेती है। किताब के धुंधले-भूरे चित्र रहस्य का रंग और गहराते हैं। रोचक, सजीव और बच्चों की जिज्ञासा जगाने वाली यह पुस्तक अन्त तक बाँधे रखती है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2024 Naresh Saxena Many Illustrators

मेरा बचपन

‘मेरा बचपन’ एक बच्चे की कहानी है जिसके जीवन की शुरुआत कबाड़ बीनने से होती है, फिर होटल में काम, फिर अख़बार की फेरी और फिर स्कूल और पढ़ाई। और उसका मन पढ़ाई में लग जाता है। सीधी, सरल भाषा में यह मार्मिक आत्मपरक कथा प्रस्तुत की गयी है। कथा का महत्त्व इस बात को इंगित करने में भी है कि कोई भी काम छोटा या हेय नहीं होता, और यह भी कि अवसर मिलने पर कोई भी इंसान कुछ भी हासिल कर सकता है। ’मेरा बचपन’ एक साधारण व्यक्ति के जीवट और स्वप्न की दास्तान है।

Muskaan 2024 Many Authors Many Illustrators

बुलबुल-ए-परिस्तान: फ़ातिमा बेगम कौन थीं?

यह कहानी सरल भाषा में बताती है कि फ़ातिमा बेगम ने कैसे हिम्मत, मेहनत और अपने फैसलों पर भरोसा रखते हुए शुरुआत के फ़िल्मी दौर में अपनी जगह बनाई।

Room to Read 2024 Nidhi Saxena Annada Menon

बीरबहूटी

‘बीरबहूटी’ लाल रंग के सुंदर छोटे छोटे मखमली बरसाती कीट के वर्णन से शुरू होकर पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले दो दोस्त बेला और साहिल की कथा है जो अब आगे की पढ़ाई के वास्ते अलग हो जाएँगे। बीच में कक्षा के और बाहर के बहुत से प्रसंग हैं। यह मार्मिक कथा अनेक बच्चों के जीवन की अपनी कथा भी हो सकती है। बचपन की मासूम, सरल दोस्ती की याद सँजोती यह कहानी उन दिनों का पुनरावलोकन है, स्मृति को समृद्ध करती हुई। चित्र भी उतने ही सजीव और प्राणवान हैं।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2024 Prabhat Prashant Soni

जिरहुल

फूलों के ज़रिए यह रचना संथाल जीवन और प्रकृति की एक-साथ बसी हुई दुनिया को बहुत सादगी से सामने लाती है। जसिन्ता जिरहुल, पलाश, जटंगी जैसे फूलों को सिर्फ़ उनके रंग-रूप में नहीं, बल्कि जंगल, लोगों और उनकी यादों के उतार–चढ़ाव में पहचानती हैं। उनकी सरल पर चुभती अभिव्यक्ति प्रकृति से हमारी बढ़ती दूरी को उभारती है। जंगली फूलों की अपनी अलग सुंदरता हमें दिखाती है कि प्रकृति हर बदलाव में नई खूबसूरती ढूँढ लेती है, जबकि हम अक्सर ऐसा नहीं कर पाते।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2024 Jacinta Kerketta Kanupriya Kulshrestha

कहानियाँ जो शुरू नहीं हुईं

ये कहानियाँ एक भी हैं और अनेक भी, जो डर को डराती हैं, खोजबीन को उकसाती हैं और विचित्रताओं का सम्मान करना सिखलाती हैं। कथा की संरचना लोककथाओं जैसी है, लेकिन भाषा का खेल पहेलियों जैसा। यह एक जादुई संसार भी है जहाँ नाम लेते ही वह वस्तु प्रकट हो जाती है। विनोद कुमार शुक्ल द्वारा लिखित इन कहानियों में भूत की कहानियों का रोमांच है पर साथ ही एक बेतुका बेपरवाह अंदाज़ है जो आपको बरबस अपनी ओर खींचता है। विनोद कुमार शुक्ल की कुशल लेखनी कथानक और भाषा से कुछ यूँ खेलती है कि आप कभी डरे हुए, कभी भौंचक तो कभी बरबस हँसने लगते हैं।

स्लेटी, सफ़ेद और किसी भी एक रंग का इस्तेमाल चित्रों में बख़ूबी किया गया है जिससे वो कथा को साकार करते हैं।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2024 Vinod Kumar Shukla Debabrata Ghosh

ये कव्वे काले-काले!

यह एक कविता है जो कथा कहती है। कथा यह है कि एक ज़माने में कौवे अनेक रंगों के होते थे। एक बार उन्होंने कचहरी में वकीलों को बहस करते और झगड़े सुलझाते देखा। वे सब काले कोट पहने हुए थे। तब कौवों को सूझा – क्यों न वे भी ऐसे ही वकील बनें और पक्षियों के झगड़े सुलझाएँ। और तब से उन्होंने काले कोट डाल लिए – यानी कौवे काले हो गए।

यह मज़ेदार बात आसान भाषा में, छोटी-छोटी पंक्तियों में कही गई है, जहाँ शब्दों की चुहलबाज़ी देखते ही बनती है। प्रयोगशील चित्रांकन तथा लय-तुक के कमाल से सजी यह कविता-कथा अनुपम कृति है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2024 Gulzaar Alan Shaw

पहेलियाँ

ये पहेलियाँ सबके लिए हैं क्योंकि इनका हल सबके बूते का नहीं। यह एक चित्र-पुस्तक सरीखी है क्योंकि शब्दों से कहीं ज़्यादा जगह पूरे पन्नों पर फैले चित्रों को मिली है जिनकी रेखाएँ और रंग पहेलियों को पहेली भी बनाए रखते हैं और उनके उत्तर का संकेत भी करते हैं। परम्परागत पहेलियों की शैली का अनुसरण करती भाषा पढ़ने-सुनने वाले को परेशान हाल छोड़ती है। दिमाग़ और कल्पना को तेज़ करने के लिए पहेलियों से बढ़कर कुछ भी नहीं और इसीलिए पहेलियों की ज़रूरत हमेशा बनी रहती है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2024 Gulzaar Alan Shaw