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भालू का नाखून

यथार्थ, कल्पना, फैंटेसी और इंद्रजाल से बुनी ये कहानियाँ इतनी सम्मोहक हैं कि लगता है सब कुछ साक्षात घट रहा है। पहाड़ों, जंगलों के रहस्यमय संसार से लेकर क़स्बों के स्कूली वातावरण तक फैलीं ये कथाएँ जीवन के रोमांच और रहस्य का बखान हैं। चरवाहे, भेंड़ों और कुत्ते की कहानी, विचित्र भालू-नाखून की कहानी, सपनीली लड़की के लगातार बदलते जाने की हैरतअंगेज़ कहानी – सब की सब कहानियाँ परीकथाओं की तरह रोचक हैं। इनकी भाषा बेहद सर्जनात्मक है – ‘उसने खुशी के मारे जैसे खुद का ही एक चक्कर लगाया’। इसके चित्रों के कत्थई-भूरे रंगों की बहुतायत रहस्य-लोक को और भी सघन कर देती है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2024 Rishi Sahni Rishi Sahni

बन्ता बतोले की करामाती कुर्सी

इस लम्बी कहानी में एक कुशाग्र बालक बन्तू को उसकी नई कुर्सी अलग-अलग की मजेदार कहानियाँ सुनाती है। दोपहर की लोरी जैसी ये कहानियाँ उस पेड़ के खोखल में ‘टीटू किस्सेबाज़’ नामक चिड़िया की फेंकी हुई पोटली में थीं जिस पेड़ से यह कुर्सी बनी। लोककथाओं के जादुई शिल्प में रचित यह कथा भाषा के अनेक खेलों, कल्पना-उड़ानों और अलौकिक वर्णनों से सम्पन्न है। किस्सागोई के मजे तो हैं ही, भाषा ऐसी कि सुनने वाले को जगाए रखे। ख़ास बात ये कि हर चीज़ में एक कहानी छुपी होती है बशर्ते हम उसे सुनने की कोशिश करें, जैसे कि इस कुर्सी की, पेड़ की, चिड़िया की, बगीचे की कहानी-दर-कहानी।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2024 Rajesh Joshi Bhargav Kumar Kulkarni

पाथरूट का लक्ष्या: कौन हैं लक्ष्मण गायकवाड़?

यह किताब लक्ष्मण गायकवाड़, एक ‘आपराधिक’ घोषित जनजातीय समुदाय से आए लेखक के जीवन को गैर-रेखीय और संवेदनशील ढंग से सामने लाती है। कहानी उनके बचपन की घटनाओं को बच्चों के सवालों के साथ बुनती है, जिससे उनका सफ़र और भी साफ़ उभरता है। स्कूल में झेली गई ज़िल्लत, ग़रीबी, काम, आंदोलन और लिखने की ओर उनके सफ़र को बच्चों के सवालों के साथ बुनते हुए, यह पुस्तक हाशिये पर धकेले गए समुदायों के अनुभवों को महत्त्व देती है और बच्चों के साहित्य में नई आवाज़ों के लिए जगह खोलती है।

Room to Read 2024 Neetu Yadav Bhargav Kumar Kulkarni

नाम है उसका पाखी

यह उपन्यास कल्पनाशीलता, स्वप्नशीलता और भाषा के जादुई प्रयोगों का अद्भुत उदाहरण है। पाखी नामक बच्ची के स्वप्नों, अनुभवों पर केंद्रित यह कथा एकरैखिक गति में नहीं वरन् चक्रीय गति में चलती है, इसलिए सभी अध्यायों को ताश के पत्तों की तरह फेंटा जा सकता है और कहीं से भी शुरुआत की जा सकती है। यह एक प्रयोगशील, परन्तु ऐन्द्रिक तंतुओं से बुनी हुई कथा है जिसे चित्रों और रंगों का संयोजन अतिरिक्त त्वरा प्रदान करता है। जीवन में सबसे ज़रूरी है कल्पनाशीलता और नित नवीन संयोजन का सामर्थ्य।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2024 Udayan Vajpayee Taposhi Ghoshal

गाँठ

बाबरी मस्जिद के ढहाए जाने के बाद भोपाल शहर में देश के अन्य भागों की तरह साम्प्रदायिकता के नाग ने फन उठाया। गाँठ में लिखित विवरणों के बीच मौखिक बयान भी दर्ज किये गए हैं। इसमें एक स्वाभाविक आपसदारी के छिन्न भिन्न होने के प्रत्यक्ष साक्ष्य मिलते हैं। ऐसी हिंसा के तुरत और दूरगामी प्रभाव एक समाज को ऐसे तोड़ते हैं कि दोबारा शुरुआत के बाद भी एक गाँठ बनी रहती है।

काले सफ़ेद रेखा चित्रों से अलग लोगों की आवाज़ों को डिज़ाइन और चित्रों के माध्यम से ऐसे पेश किया गया है कि उनकी सच्चाई झलकती है। चित्र बहुत सी सूक्ष्म दृष्टि से आम ज़िन्दगी के उन पहलुओं को पकड़ते हैं जो साम्प्रदायिकता की हिंसा में ध्वस्त होते हैं।

Muskaan 2024 Rubina Khan, Lata Sangde, Maya Maurya Shayoni Das

एक शहर एक पहाड़ एक मोहल्ला

यह किताब खिचड़ीपुर मोहल्ले और वहाँ के बाशिंदों का एक सजीव दस्तावेज़ है—उनकी ही आवाज़ में। किरदार, उनके दुख–सुख और रोज़मर्रा की बयानगी बिना किसी परत या सजावट के सामने आती है। गाज़ीपुर के कूड़ा पहाड़ के पास बसे रिहायशी इलाके में रहने वाले बच्चों की नज़र से शहर, मोहल्ला और उसका सामाजिक-सांस्कृतिक जगत खुलता है। लेखकों की विशेषता यह है कि वे अपने ही परिवेश से दूरी बनाकर उसे साफ़, बारीक और ईमानदार ढंग से रेखांकित करते हैं।

Eklavya 2024 Ankur Writers Collective Alan Shaw

एक था रामू

एक सत्य घटना पर आधारित यह मार्मिक कहानी इंसान और कुत्तों के बीच पनपने वाले प्यार के सरल-सपाट विवरण से दिल को छू लेती है।

जैसे कि कई सड़क के कुत्ते होते हैं, रामू जिजीविषा का प्रतीक है और पाठक को अपना बना लेता है। लेखक की कामकाजी व्यस्तताओं से समझौता कर, वह एक मूँगफली बेचनेवाले लड़के के पास भी समय बिताता है। जीवन की परिस्थितियाँ लेखक को गाँव वापिस ले जाती हैं और लौटने पर रामू उन्हें नहीं मिलता। पर उसकी याद उनके और पाठक के दिल में स्थाई जगह बना लेती है। लेखन शैली तथा चित्रांकन दोनों ही इस कहानी के सूक्ष्म भाव को यूँ पकड़ते हैं कि पाठक देर तक उस दुनिया में बना रहता है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2024 Ashok Seksaria Nilesh Gehlot

सात पत्तों वाला पेड़

यह किताब एक सप्तपर्णी के पेड़ से लेखक का संवाद है जिसमें पेड़ के अंदर होने वाली क्रियाओं के ऊपर लेखक अपनी कल्पना-शक्ति से बहुत से रंग और खुशबुएँ भरता है।

पेड़, धूप, खुशबू, कीड़े आदि का प्रभावपूर्ण मानवीकरण है जो उन्हें सम्मान की भूमिका में रखते हुए पाठक के लिए एक जुड़ाव बनाता है। पेड़ के साथ अनेक प्राणियों के अंतरंग संबंधों से पर्यावरण में परस्पर निर्भरता और मनुष्य का इसमें एक हिस्सा होना बख़ूबी निकल के आता है। मात्र आठ पन्ने की किताब में चित्रांकन की कई शैली शामिल हैं और कवर और बैक कवर भी पूरी किताब में सुंदरता से समन्वित हैं जिससे कि इसे पढ़ने का अनुभव भरा पूरा लगता है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2024 Sushil Shukla Taposhi Ghoshal