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जब धूप भी हो और बारिश भी

“जब धूप भी हो और बारिश भी” वाली मज़ेदार कहावत हम सबने बचपन में सुनी है – और इसी को गुलज़ार ने अपनी कल्पना से और भी दिलचस्प बना दिया है। यह प्यारी-सी कविता धूप, बारिश और गीदड़ों की दुनिया को नए रंगों में दिखाती है। भाषा में खेल और संप्रेषणीयता है – हल्की-सी शरारत, लय और ताज़गी के साथ।

चित्र नाटकीय, बोल्ड और बेहद व्यंजक हैं। डबल-स्प्रेड पर फैला स्पेस धूप-बारिश का पूरा मौसम रच देता है। गीदड़, हाथी और बाकी जीव इतने जीवंत दिखते हैं कि लगता है जैसे कहानी पन्नों से बाहर आ रही हो।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2024 Gulzaar Priya Kuriyan

ऊटपटांग

ऊटपटांग: जैसा कि शीर्षक से ही स्पष्ट है, यह किताब बेतुकी या नॉनसेंस कही जाने वाली कविताओं की बेहद मज़ेदार किताब है। यह एक टाँग वाले मुर्ग़े से शुरू होकर तुक की ज़रूरत के मुताबिक़ इस तरह बनती चलती है कि इसे एक अखंड कविता की तरह भी पढ़ा जा सकता है और कविता-श्रृंखला की तरह भी। बेमेल चीज़ें कल्पना-लोक में सहज ही घुलमिल जाती हैं। इसकी लय लोकगीतों या बुझौवल की याद दिलाती है और भाषा का खेल देखते ही बनता है। चित्रांकन कविताओं को साकार करते हुए उन्हें विस्तार भी देता है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2024 Gulzaar World Frieda Shaw and Alan Shaw

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