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A motley group of travellers, family and friends, sets out for a week’s trek along the Ganga river. As the journey progresses, many truths are revealed in a gentle but firm manner. These two strands – the enduring yet fragile aspect of both nature and of human relationship are handled sensitively by the author. It is an affectionate and realistic picture of life as many of us know it. Look for the ending!
जानी मानी हस्तियों के बचपन के बारे में इस तरह से लिखी गयी है जैसे आत्मकथा लिखी जाती है। शैली एकदम सहज, बोधगम्य, और रोचक। संगीत, विज्ञान, सिनेमा, साहित्य, पक्षी-विज्ञान आदि क्षेत्रों से बड़ी हस्तियों के बचपन चुने गए हैं। बड़ों के बचपन को ज़रा भी रूमानियत से नहीं देखा गया है। लगभग हर बचपन में ऐसी कई अप्रिय बातें भी हैं जो आम तौर पर व्यक्ति छिपाने की कोशिश करता है। बड़े होने की प्रक्रिया में इस किताब का किसी युवा पाठक को मिल जाना एक सुखद और प्रेरणादायक अनुभव सिद्ध होगा।
बिक्सू’ आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाले झारखंड के एक ग्रामीण बालक की कहानी है। बिक्सू पढ़ते हुए पाठक संवेदनात्मक और बौद्धिक स्तर पर समृद्ध होंगे ऐसा कई कारणों से लगता है। बिक्सू की कहानी में एक तरफ अगर स्थानीय रंग गहरे हैं तो दूसरी तरफ यह कथा सार्वभौमिक कथाभूमि पर भी एक लकीर खींचती चलती है। यह कथा जितना बाहर चलती है उतना ही भीतर भी। मुख्य पात्र की स्मृतियों और मानसिक द्वंद्वों को भाषा, चित्र और ले ऑउट डिजाइन सभी स्तरों पर अभिव्यक्त करने की कोशिश की गई है।
यह कहानियाँ किशोर-दृष्टि से बुनी गयी हैं जहाँ साधारण घटना भी अर्थवान बन जाती है, जैसे ट्रेन की यात्रा या बगीचे में अमरूदों की चोरी जो जीवन के बड़े मूल्यों की ओर संकेत करती हैं। इनकी विशेषता यह है कि यहाँ कथानक, पात्र और भाषा सब आस पास के जीवन के हैं। और हर कहानी हमें बेहतर इन्सान बनाती है, हालाकि ये कहीं भी सायास उपदेशात्मक नहीं हैं। कहानियाँ मज़ेदार भी हैं और अंत तक ध्यान बाँधे रखती हैं। चित्र स्थितियों को उभारते हैं और रंग अलग से ध्यान नहीं खींचते।
इस किताब की सबसे खास बात यह है कि पृथ्वी पर एलियन द्वारा हमले का रहस्य का पर्दाफाश करने वाले व्यस्क वैज्ञानिक नहीं लेकिन युवा विद्यार्थी हैं। भीतर के चित्र कुछ अच्छे हैं, कुछ छपाई में बिगड़ गए हैं। लेकिन इसपर यूँ भी ध्यान नहीं जाता क्योंकि आख्यान इतना दमदार है। युवा विद्यार्थियों के प्रति कुछ उदारतावादी भाव भी दीख पड़ते हैं, लेकिन चूंकि रहस्य सुलझाने में युवा लोग ही सफल होते हैं, इसलिए यह लेखक की सोची-समझी आख्यानात्मक युक्ति भी हो सकती है कि जिन्हें केवल महान वैज्ञानिक के सहायकों के रूप से आमंत्रित किया जाता, उन्हें ही एलियन का भंडाफोड़ करने करने का श्रेय जाता है।
यह एक भिन्न कोटि की किताब है जहाँ कथा-संवाद की शैली में कोई अप्रचलित बात कही जाती है और वाद-विवाद के लिए प्रेरित किया जाता है। मासूम से लगने वाले सवाल पूरी व्यवस्था को ही कठघरे में खड़ा करते हैं। पर ये बहुत मनोरंजक भी हैं, कई बार चुटकुलों जैसे। इन्हें पढ़ते हुए उसे बच्चे की याद आ सकती है जिसने पहली बार कहा था कि राजा नंगा है। दिये गये रेखांकन भी कथानक को सजीव बनाते हैं जो लगातार स्याह कूँची से बने हैं।
इन कहानियों में वर्णित चरित्र प्रायः किन्ही विनाशकारी स्थितियों से गुजरते हुए दिखते हैं। ये कहानियाँ जितना बाहरी उथल-पुथल को व्यक्त करती हैं, उतना ही चरित्रों की भीतरी मनोदशाओं, स्वप्नों, आकांक्षाओं और आशंकाओं को भी व्यक्त करती हैं। शिल्प के स्तर पर अकसर ये कहानियाँ यथार्थवादी शिल्प में शुरू होती हैं, लेकिन अकसर यथार्थवादी शिल्प का अतिक्रमण कर फंतासी में चली जाती हैं। प्रत्येक कहानी के कुछ महत्त्वपूर्ण दृश्यात्मक पहलुओं को चित्रांकन के माध्यम से उजागर किया गया है।
इस संग्रह की एक यादगार कहानी है बंदरों की जल-समाधि जो मनुष्य की विकास की दौड़ में मारे गए हैं। और उनकी मृत्यु को एक बच्चे की दृष्टि से पाठक को महसूस करवाना लेखक से परिपक्वता की अपेक्षा करता है। इस किताब में ऐसा लगता है कि हर कहानी के केंद्र में जैसे लेखक का अपना ही बाल-रूपी किरदार हो। कस्बाती और ग्रामीण जीवन के जीवंत विवरण एकदम आत्मकथात्मक गल्प की विधा में धीरे-धीरे खुलते हैं और पाठक तो एक तरह का काव्य-सुख प्रदान करते हैं।