इस संग्रह की कविताओं की विषयवस्तु हमारा अड़ोस-पड़ोस है—हवा, धूप, पानी, बादल जैसी दैनंदिन जीवन की चीज़ें और उपस्थितियाँ। लेकिन कल्पना-शक्ति ने इनके नये नये संयोग बनाए हैं। ’सूरज का फूल खिला है,समय का फूल खिला है’…..सरीखी कविताएँ संसार को नयी नज़र से देखने और पहचानने का उद्यम हैं। छंद और लय का ललित व्यवहार […]
यह अनूठी पुस्तक एक खेतिहर की कथा कहती है जिसकी ज़मीन छिन कर दूसरे के पास चली गयी है और उसी के साथ बादल, बारिश, सुगंध और मल्हार भी विदा हो गये हैं। अपने बिम्बों तथा संगीत के ज़रिए सब कुछ खोने की अनुभूति को यह कविता मार्मिकता से व्यक्त करती है। रंग -बिरंगे चित्र […]
इस संग्रह की कविताएँ विस्मय-बोध, शब्द-क्रीड़ा और फैंटेसी का अनुपम उदाहरण हैं। यहाँ साधारण और आसपास की चीज़ों के भीतर बसने वाले रहस्य और सौन्दर्य को मनोरम तरीक़े से व्यक्त किया गया है। ये कविताएँ कल्पना को पंख देती हैं और हर वस्तु के अलक्षित पक्ष को ढ़ूँढ़ने को प्रोत्साहित करती हैं। ’कहने को कुछ […]