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“अगर मैं पंछी होती-
तो उड़ जाती।
गाँव से दूर।
कहीं और।
कहीं ऐसी जगह जहाँ मैं जैसी हूँ वैसी रह सकूँ।”
ये पंक्तियाँ “उड़ान” किताब से ली गयी हैं। एक तरह से कहें तो इन पंक्तियों में इस पूरी किताब का निचोड़ है। “उड़ान” अपने खुद के प्रति ईमानदारी और सच्चाई की, अपने सपनों को ज़िंदा रखने की और उन्हें पूरा करने की साहस की कहानी है। यह कहानी स्वीडिश कलाकार बर्टा हैंसन के जीवन और बचपन से प्रेरित है।
यह कहानी साल 1920 में स्वीडन के एक ग्रामीण इलाके में रहने वाली बर्टा की है। बेर्टा को चित्र बनाना बहुत पसंद है। वह बड़े होकर एक कलाकार बनना चाहती है पर उसके पिता चाहते हैं कि वह परम्परा का पालन करे और घर और परिवार को संभालना सीखे। उसके आस- पास का माहौल और समाज भी इसी को सही मानता है।
“बड़ी होकर मैं चित्रकार बनूँगी।
माइकल एंजेलो की तरह।
लेकिन यह बात मैं मुँह से नहीं कहती।
क्योंकि यह ऐसा काम नहीं है
जिसमे आप कुछ बन सकते हैं।
खासकर, अगर आप एक लड़की हैं।”
पर बर्टा अलग है, वो रोज़मर्रा के कामों को सीखना और उसे करते – करते पूरा जीवन बिता देना अपने जीवन का मक़सद नहीं मानती। वो तो बस चित्रों और रंगों की दुनिया में जीना चाहती है, आगे बढ़ना चाहती है, जहाँ वो खुद को पा सके। उसे लगता है कि उसके चित्र, पंछी जो नीली मिट्टी से बनाए हैं, वो हर चीज़ जो अपने हाथों से बनाती है, वो उसकी बीमार माँ को ज़िंदा रख रही है और उनकी तबीयत सुधार रही है।
उसकी कला अलग है, सबसे हट कर। पर कोई उसे समझ नहीं पाता। स्कूल में भी चित्रकला के शिक्षक बने बनाए ढर्रे को हीं सही मानते हैं और बर्टा की प्रतिभा को परख नहीं पाते । उसके दोस्त भी उसके चित्रों को देख कर उसका मज़ाक उड़ाते हैं। उसे यह जान कर बहुत अचरज होता है कि उसके शिक्षक और दोस्तों के लिए गाजर का एक ही रंग होता है पर बर्टा के लिए तो गाजर कई रंग के हो सकते हैं। जिसमें से कई तो उसने खुद देखे हैं और उन सबको वो अपने कैन्वस पर उतारना चाहती है।
उसकी माँ ही है जो उसे समझती हैं, पर उनके गुज़र जाने के बाद बर्टा बहुत अकेली पर जाती है। फिर बहुत मुश्किलों का सामना करने के बाद शुरू होती है बर्टा की लड़ाई, खुद से, अपने अंदर के साहस को जगाने के लिए, अपने सपनों को फिर से देखने के लिए और उसे उड़ान देने के लिए। इस कहानी ने मुझे लेखक “लूईज़ा मे एलकोट” की कहानी “लिटिल वीमेन” के एक किरदार “जो मार्च” की भी याद दिलायी, जो इसी तरह समाज के बनाये ढांचे और दायरे में बंधकर नहीं रहना चाहती। वो एक लेखक बनना चाहती है पर उसका समाज इसे नहीं समझता और ना हीं इसकी इज़ाज़त देता है। पर उसके दृढ निश्चय को कोई झुका नहीं पता और यही दृढ निश्चय संघर्ष की लौ को बरकरार भी रखता है।
“उड़ान” एक बहुत ही ख़ास किताब है, जो आज के समय के भी बहुत सारी लड़कियों की कहानी को दर्शाता है। कई बार लड़कियाँ ज़िन्दगी के ऐसे दोराहे पर खड़ी कर दी जाती हैं जहाँ अपने सपने और घरवालों की मर्ज़ी में से किसी एक को चुनना होता है… जो बहुत कठिन होता है।
यह कहानी स्वीडिश से हिंदी में अनुवाद की गयी है। इसकी भाषा सरल और काव्यात्मक है। हर पन्ने पर रंगीन चित्र बर्टा के बचपन में घट रही घटनाओं को, उसकी मनोदशा को भली भांति उजागर करते हैं। यह कहानी छोटे बच्चों को सुनाई जा सकती है और जो बच्चे पढ़ सकते हैं उन्हें पढ़ने का मौका देना चाहिए। इस कहानी के साथ कक्षा में बहुत सारे पहलुओं पर चर्चा होनी चाहिए। मेरे विचार से यह किताब हर लाइब्रेरी के संकलन का हिस्सा होना चाहिए। इस किताब के प्रकाशक A&A हैं और यह अक्टूबर 2019 में प्रकाशित हुई है। यह एक हार्ड बाउंड किताब है और मूल्य 250/- है।
मेरी ओर से बर्टा के लिए…
उड़ते पंख
हवा से बातें करते
मिटटी की सोंधी
खुशबू में समाते,
खुले आसमान के नीचे
देखे मैंने
जाने कितने
उड़ते पंख।
– प्रियंका सिंह
Flyaway Boy is a story about a boy who doesn’t fit in – not in his school, among friends and sometimes even struggles to feel part of his family…
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