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Bante Kahan Dikha Aakash

इस संग्रह की कविताएँ विस्मय-बोध, शब्द-क्रीड़ा और फैंटेसी का अनुपम उदाहरण हैं। यहाँ साधारण और आसपास की चीज़ों के भीतर बसने वाले रहस्य और सौन्दर्य को मनोरम तरीक़े से व्यक्त किया गया है। ये कविताएँ कल्पना को पंख देती हैं और हर वस्तु के अलक्षित पक्ष को ढ़ूँढ़ने को प्रोत्साहित करती हैं। ’कहने को कुछ बचा नहीं ऐसा कभी नहीं होता’, यह वाक्य रचनाशीलता के मंत्र की तरह है।

साथ के चित्र भी अपने प्रयोगशील रंगों और रेखाओं से कविता को प्रकाशमान करते है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2022 Vinod Kumar Shukl Taposhi Ghoshal

Tiffin Dost

टिफिन दोस्त एक नटखट और प्यारी किताब है। सुशील शुक्ल ने बच्चों की बातों को अपनी कविता में बख़ूबी पिरोया है। प्रिया कुरियन के चित्र भी मस्ती भरे हैं और शब्दों के चुलबुलेपन का साथ निभाते हैं। बच्चों की स्कूली ज़िन्दगी में टिफिन एक बहुत अहम् हिस्सा है और इस से जुड़ी कई बातें कविता में दिखती हैं। यह किताब अलग-अलग परिवारों के खानपान को लेकर कई सवाल भी खड़े करती है। यह मज़ेदार कविता बच्चे और बड़े, दोनों पसंद करेंगे।

Eklavya 2022 Sushil Shukl Priya Kuriyan

Paani Utra Teen Par

‘पानी उतरा टीन पर’ छंदोबद्ध कविताओं का संग्रह है। आसपास की चीज़ों जैसे बारिश, सूरज,चाँद, चींटी को लेकर सृजित ये कविताएँ सुपरिचित को नये तरीक़े से प्रस्तुत करती हैं। इनमें स्वर और तुकों का खेल मोहक है। कल्पना को जागृत करती ये कविताएँ सहज ही कंठस्थ हो जाती हैं। आसपास के सौन्दर्य को प्रकाशित करने वाली ये कविताएँ भाषा के प्रयोगात्मक व्यवहार के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। साथ के रेखांकन कविताओं के भावों का पुनर्सृजन करते हैं।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2021 Pramod Paathak Nilesh Gehlot

Gamle Mein Jungle

भीतर और बाहर के परस्पर संबंध को व्याख्यायित करती यह पुस्तक केवल एक कविता से बनी है। यह कविता प्रकृति का सम्मान और प्रकृति की निजता की रक्षा का संकल्प है। साथ के चित्र भी इस भाव को अनेक रंगों और आकृतियों के माध्यम से मुखरित करते हैं।यहाँ कम शब्दों में सूत्रात्मक शैली में मनुष्य,प्रकृति और परिवेश के संबंध को मूर्त किया गया है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2021 Vinod Kumar Shukl Chandramohan Kulkarni

Feriwale

कई पन्नों पर नयनाभिराम चित्रों के साथ सज्जित यह कविता रोज़-ब-रोज़ के एक सुपरिचित दृश्य यानी फेरीवालों के मुहल्ले में आने और बच्चों-सयानों के उनके पास आ जुटने का वर्णन करती है। बोलचाल की सहज पर व्यंजक भाषा में इसकी रचना हुई है। पूरे-पूरे सुगठित वाक्य इसकी शोभा हैं। अनेक ब्योरों से भरी यह कविता चित्रात्मक और मार्मिक है। फेरीवाले के बीमार पड़ने पर पूरे मुहल्ले की सहानुभूति हमारे सामाजिक जीवन और मानवीयता को दर्शाती है।

Eklavya 2021 Sushil Shukl Nilesh Gehlot

Takey The Dus

ऐसी कितनी ही कविताएं और गीत हैं जो बचपन में खेल का अनिवार्य हिस्सा रही हैं। टके थे दस भी उन्हीं में से एक है। लेकिन इसमें लोकगीत की खुशबू है। उलटी गिनती में चलने वाला ये गीत अपने हर अंक में एक मस्ती समेटे हुए है। इसमें लोक जीवन की हंसी ठिठोली है और रोज़मर्रा के जीवंत चित्र हैं। सेठ जी का पात्र हमें उन सब चरित्रों से मिलवाता है जो कहीं छुपे रहते हैँ और दृश्य बनकर आते हैं।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2021 Atanu Roy

Jugnoo Bhai

जुगनू भाई एक चित्रांकित कविता है जिस में एक जुगनू और अन्य कीड़ों की रात में मुलाकात होती है। किताब में खूबसूरत रंगीन चित्र हैं जो रात के दृश्य को एक अलग अंदाज़ में पेश करते हैं। छोटे बच्चों के लिए यह बहुत ही उचित किताब है। कविता के शब्द और चित्र मिलकर एक सौम्य और अनूठा अनुभव देते हैं। चित्रों में रात का अंधेरा और उसमें हल्की-हल्की रोशनी को काले पन्नों पर अनोखे ढंग से उतारा गया है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2022 Balswaroop Rahi Himanshu Ujinwal

Keral Ke Kele

इस संकलन की कविताओं का विषय चयन, ताल लय और शब्दों का सहज दोहराव इन्हें बच्चों की पसंदीदा रचनाएँ बनाता है । कुछ कविताएँ बच्चे मज़े-मज़े यादकर गुनगुना सकते हैं। समृद्ध व सादगीपूर्ण भाषा में रची कविताएँ , शिक्षकों के लिए बच्चों को भाषा सिखाने का एक बढ़िया संसाधन उपलब्ध कराती हैं । ‘धम्मक धम्मक आता हाथी’ और ‘ऊँट चला’ जैसी चर्चित रचनाओं में जीवों के चालढाल और रहन सहन का सुन्दर, सजीव चित्रण लुभाता है। सादगी भरे चित्र कविताओं के साथ बोलते- डोलते से लगते हैं और इन्हें नया अर्थ देते हैं।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2021 Prayag Shukl Debbrat Ghosh