Loading...

Monster Folktales from South Asia

This is a thrilling but thoughtful collection of monster folktales from all over South Asia. A giant ogre who eats people, a fire demon and a sea monster – all create havoc. The language is evocative and the illustrations are quite flamboyant as monsters leap out of the pages. The stories can be read aloud to younger children. As with most monster tales, these too end with victory over the monster, which can be external or internal. Is there anyone who has not fought monsters?

HarperCollins Publishers India 2021 Musharraf Ali Farooqi Michelle Farooqi

Pedru and the Big Boom

Big environmental issues like mining are not easy to make interesting for children. This book manages to do just that, because the reader identifies with the young protagonist who is not initially very aware or interested in such things, but when he is confronted with a stark reality he actually gets involved in a scheme for deflecting the impending environmental crisis in his home village and surroundings.

Kalpavriksh 2021 Nandita Da Cunha Niharika Shenoy

When a Forest Wakes Up

If you see patterns in clouds and creatures in the sun and moon, then you’ll love this picture book. It draws images in words and the illustrations offer various interpretations. The beautiful images, borrowing from various folk-art forms, are done in bold strokes and often challenge the words on the page. All the animals in the forest are allegorical, even the sun! Meant for all age groups, this picture book is a magical journey into our own imagination.

Pratham Books 2021 Sudarshan Shaw Sudarshan Shaw

रज़ा के चित्र

यह मूल्यवान पुस्तक महान चित्रकार रज़ा के चित्रों को देखने और समझने का अप्रतिम उपक्रम है। लेखक की प्रस्तावना और टिप्पणियाँ, रंग, रेखाओं और रिक्त अवकाशों को व्याख्यायित करते हुए कला के सौन्दर्य का उद्घाटन करती हैं। ’वह जो अपने हर अंश में स्पंदित हो रहा है वही जीवन है’: लेखक ने रज़ा के दस विख्यात चित्रों के स्पंदनों को महसूस करने के नये कोण, दृष्टि और तत्जनित रसास्वादन से पाठकों को समृद्ध किया है।

जुगनू प्रकाशन 2021 उदयन वाजपेयी सय्यद हैदर रज़ा

जिसके पास चली गयी मेरी ज़मीन

यह अनूठी पुस्तक एक खेतिहर की कथा कहती है जिसकी ज़मीन छिन कर दूसरे के पास चली गयी है और उसी के साथ बादल, बारिश, सुगंध और मल्हार भी विदा हो गये हैं। अपने बिम्बों तथा संगीत के ज़रिए सब कुछ खोने की अनुभूति को यह कविता मार्मिकता से व्यक्त करती है। रंग -बिरंगे चित्र वातावरण को बखूबी व्यक्त करते हैं। यह कविता दूसरों के दुख और पीड़ा के साथ तादात्म्य स्थापित करने का उदाहरण है।

जुगनू प्रकाशन 2021 नरेश सक्सेना कविता सिंह काले

पानी उतरा टीन पर

‘पानी उतरा टीन पर’ छंदोबद्ध कविताओं का संग्रह है। आसपास की चीज़ों जैसे बारिश, सूरज,चाँद, चींटी को लेकर सृजित ये कविताएँ सुपरिचित को नये तरीक़े से प्रस्तुत करती हैं। इनमें स्वर और तुकों का खेल मोहक है। कल्पना को जागृत करती ये कविताएँ सहज ही कंठस्थ हो जाती हैं। आसपास के सौन्दर्य को प्रकाशित करने वाली ये कविताएँ भाषा के प्रयोगात्मक व्यवहार के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। साथ के रेखांकन कविताओं के भावों का पुनर्सृजन करते हैं।

जुगनू प्रकाशन 2021 प्रमोद पाठक नीलेश गहलोत

गमले में जंगल

भीतर और बाहर के परस्पर संबंध को व्याख्यायित करती यह पुस्तक केवल एक कविता से बनी है। यह कविता प्रकृति का सम्मान और प्रकृति की निजता की रक्षा का संकल्प है। साथ के चित्र भी इस भाव को अनेक रंगों और आकृतियों के माध्यम से मुखरित करते हैं।यहाँ कम शब्दों में सूत्रात्मक शैली में मनुष्य,प्रकृति और परिवेश के संबंध को मूर्त किया गया है।

जुगनू प्रकाशन 2021 विनोद कुमार शुक्ल चंद्रमोहन कुलकर्णी

फेरीवाले

कई पन्नों पर नयनाभिराम चित्रों के साथ सज्जित यह कविता रोज़-ब-रोज़ के एक सुपरिचित दृश्य यानी फेरीवालों के मुहल्ले में आने और बच्चों-सयानों के उनके पास आ जुटने का वर्णन करती है। बोलचाल की सहज पर व्यंजक भाषा में इसकी रचना हुई है। पूरे-पूरे सुगठित वाक्य इसकी शोभा हैं। अनेक ब्योरों से भरी यह कविता चित्रात्मक और मार्मिक है। फेरीवाले के बीमार पड़ने पर पूरे मुहल्ले की सहानुभूति हमारे सामाजिक जीवन और मानवीयता को दर्शाती है।

एकलव्य 2021 सुशील शुक्ल नीलेश गहलोत