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एक शहर एक पहाड़ एक मोहल्ला

यह किताब खिचड़ीपुर मोहल्ले और वहाँ के बाशिंदों का एक सजीव दस्तावेज़ है—उनकी ही आवाज़ में। किरदार, उनके दुख–सुख और रोज़मर्रा की बयानगी बिना किसी परत या सजावट के सामने आती है। गाज़ीपुर के कूड़ा पहाड़ के पास बसे रिहायशी इलाके में रहने वाले बच्चों की नज़र से शहर, मोहल्ला और उसका सामाजिक-सांस्कृतिक जगत खुलता है। लेखकों की विशेषता यह है कि वे अपने ही परिवेश से दूरी बनाकर उसे साफ़, बारीक और ईमानदार ढंग से रेखांकित करते हैं।

Eklavya 2024 Ankur Writers Collective Alan Shaw

ये कव्वे काले-काले!

यह एक कविता है जो कथा कहती है। कथा यह है कि एक ज़माने में कौवे अनेक रंगों के होते थे। एक बार उन्होंने कचहरी में वकीलों को बहस करते और झगड़े सुलझाते देखा। वे सब काले कोट पहने हुए थे। तब कौवों को सूझा – क्यों न वे भी ऐसे ही वकील बनें और पक्षियों के झगड़े सुलझाएँ। और तब से उन्होंने काले कोट डाल लिए – यानी कौवे काले हो गए।

यह मज़ेदार बात आसान भाषा में, छोटी-छोटी पंक्तियों में कही गई है, जहाँ शब्दों की चुहलबाज़ी देखते ही बनती है। प्रयोगशील चित्रांकन तथा लय-तुक के कमाल से सजी यह कविता-कथा अनुपम कृति है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2024 Gulzaar Alan Shaw

पहेलियाँ

ये पहेलियाँ सबके लिए हैं क्योंकि इनका हल सबके बूते का नहीं। यह एक चित्र-पुस्तक सरीखी है क्योंकि शब्दों से कहीं ज़्यादा जगह पूरे पन्नों पर फैले चित्रों को मिली है जिनकी रेखाएँ और रंग पहेलियों को पहेली भी बनाए रखते हैं और उनके उत्तर का संकेत भी करते हैं। परम्परागत पहेलियों की शैली का अनुसरण करती भाषा पढ़ने-सुनने वाले को परेशान हाल छोड़ती है। दिमाग़ और कल्पना को तेज़ करने के लिए पहेलियों से बढ़कर कुछ भी नहीं और इसीलिए पहेलियों की ज़रूरत हमेशा बनी रहती है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2024 Gulzaar Alan Shaw

घड़ी-घड़ी

एक मिनट में कितने सेकंड होते हैं? ऐसे ही छोटे-छोटे सवालों से शुरू होकर यह कविता समय को एक नई तरह से खोलती है। इसमें जिज्ञासा, कल्पना और भाषा का खेल है, और साथ ही रोज़मर्रा की बातचीत का मज़ा भी है। भाषा हल्की-फुल्की और आकर्षक है। किताब के चित्र कविता के खेल-भरे मूड को और बढ़ा देते हैं। यह कहानी-सी कविता बच्चों और बड़ों-दोनों के लिए साथ में पढ़ने का अच्छा मौका देती है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2024 Gulzaar Alan Shaw

हरी पतंग पे हरा पतंगा

यह एक बेहद शानदार और लंबी, मनमौजी-सी कविता है। हास्य और कल्पना को बहुत ही हल्के, मीठे अंदाज़ में बुनकर रची गई है। किसी गाँव में सूखा पड़ा है। कुछ साहसी लोग बादल की खोज में निकलते हैं। भाषा में एक खिलंदड़ापन है, जो पढ़ते ही मुस्कान ले आता है। लोककथाओं जैसी जो प्राकृतिक ताल और लय इसमें है, वही पढ़ने का मज़ा और बढ़ा देती है।

ऊपर से देखने पर यह कविता सीधी-सादी लगती है, लेकिन इसके भीतर कई अर्थ छुपे हैं, जिन्हें बच्चे भी अपनी तरह से खोज सकते हैं। एलन शॉ के चित्र-संसार इसकी मनमौजी दुनिया को और भी रंगीन बना देते हैं।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2024 Varun Grover Alan Shaw

हकीम अण्टा गफील

इस आकर्षक किताब में हकीम साहिब एक गुज़रे ज़माने की तहज़ीब से हमारा परिचय करवाते हैं। उनका घोड़ा सुंदर और अक्लमंद है और हकीम साहिब को गाँव में सही जगह ले जाता है।

उर्दू में बाल-साहित्य की याद दिलाने वाली यह कविता–किस्सागोई की ताज़गी, हास्य के हल्के छींटों और बेहतरीन चित्रों के माध्यम से आपको बराबर अपनी दुनिया में खींच लेती है। संवाद की गुंजाइश हर पन्ने पर मौजूद है। बेहतरीन चित्र और डिज़ाइन वाइट स्पेस का खूबसूरती से इस्तेमाल करते हैं। रंग, लाइट और शेड का प्रयोग मनमोहक है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2024 Gulzaar Alan Shaw

पूँछ

पूँछ के ऊपर इस मनोरंजक कविता में बंदर, लंगूर, बिल्ली, नीलगाय, शेर और आदमी—सब शामिल हैं। गुलज़ार की चुटीली भाषा हो और हँसता-चिलखता मिसप्रिंट का इस्तेमाल डिज़ाइन में बड़े प्रयोगात्मक और आकर्षक ढंग से किया गया हो, तो कौन है जो इस किताब को चुनना, पढ़ना और गुनगुनाना न चाहेगा।

चित्रों में गणितीय संरचना और बारीक काम का सुंदर प्रदर्शन है। वाइट स्पेस का प्रभावशाली उपयोग आँखों को घूमने और दिमाग़ को सोचने की गुंजाइश देता है। ऐसी चित्र-पुस्तकें सुकून देती हैं।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2024 Gulzaar Alan Shaw