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Kuch Aata Na Jaata

आसपास की चीजों, दृश्यों, पात्रों से बुनी यह कविता – पुस्तक कल्पनाशील सृजन का अनुपम उदाहरण है। यहाँ अनेक विषयों और वस्तुओं पर अप्रत्याशित कविताएँ हैं जो मामूली प्रसंगों, जैसे नहाने, को भी अविस्मरणीय घटना में तब्दील कर देती हैं। भाषा में नमनीयता और एक खिलंदड़ापन है जो शब्दों तथा ध्वनियों के नये-नये जोड़-तोड़ संभव करती है। किताब के चित्र कविताओं के रंग-अनुवाद की तरह हैं – शब्दों को आकार और रंगों में रूपांतरित करते हुए। ये कविताएँ पाठकों को नये तरीक़े से अड़ोस-पड़ोस को, प्रकृति और स्वयं अपने आप को देखना सिखाती हैं; कल्पना को नये पंख देते हुए भाषा से खेलने और फिर सिरजने को आमंत्रित करती हैं।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2023 Rajesh Joshi Shivam Chaudhary

Haathiyon Ki Toli

यह छोटी पर मनोरम कविता हाथियों की टोली का मार्मिक आख्यान है। केवल आठ पंक्तियों में, छंदोबद्ध और तुकांत, यह कविता हाथियों की टोली के स्वभाव, प्रेम, परस्पर स्नेह और समूह भाव को व्यक्त करती है। भाषा सरल किंतु गहरे अर्थों को व्यंजित करने वाली है। साथ के चित्र कथानक को विस्तार और मूर्तता प्रदान करते हैं, ख़ास कर गहरी यादों को अंकित करता पूरे पन्ने पर फैला आँख की झुर्रियों का क्लोज़-अप। पारिवारिक प्रेम, बच्चों की सुरक्षा,और सयानों के वत्सल भाव को व्यक्त करती यह कविता हाथियों के जीवन का महाकाव्य है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2023 Varun Grover Gunjan Bharti

Aada Paada

क्या ‘पादने’ जैसे विषय पर ‘छी’ के सिवाय भी कुछ कहा जा सकता है? यह नमकीन कविता ज़रूर हँसाएगी, चोरी – छिपे नहीं, बल्कि खुल के, मिल-जुल के। सभी जानवरों का पादने का स्टाइल अलग है! क्या हमारा भी? या कि इस पर बात ही नहीं करनी? कविता के साथ चित्र भी कमाल के हैं – शोख, गाढ़े रंगों वाले।अपने आप में बोलने और कहने वाले।

Eklavya 2022 Sushil Shukl Atanu Roy

Ooper Ke Gaon Ka Rahasya

हमारे गाँव में रामलीला क्यों नहीं होती? इतनी दूर ठंड में किसी और गाँव में क्यों जाना पड़ता है रामलीला देखने? नौ साल की गोपु को अपनी इस सहज जिज्ञासा का कोई सीधा जवाब अपने बड़ों से नहीं मिलता। बस यही जानने की धुन में वह तरह-तरह से लोगों से बात निकलवाने का प्रयास करती रहती है, कभी अपने पुलिस पापा को मस्खा लगाती है तो कभी अपने दोस्त के साथ छानबीन में लग जाती है। गोपु और उसके पापा के बीच का बेकल्लुफ़ रिश्ता, दादी और अन्य किरदार और उत्तराखंड के गाँव के जीवन का जीवंत चित्रण इस लघु उपन्यास को और भी दिलचस्प बनाता है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2023 Neha Bahuguna Susanta Paul

Chidiya Ud

यह एक छोटे बच्चे की कहानी है जो मानता है कि वह एक चिड़िया है। वह उड़ना चाहता है लेकिन चाहकर भी वह इसे बता नहीं पाता। उसे उम्मीद है कि शायद उसे पहचान लेंगे पर वह हर बार नाउम्मीद होता है। लेकिन बोल नहीं पाता। निधि दृश्यों के सहारे कहानी उकेरती हैं और बता न पाने की घुटन और पहचान न पाने की कसक हमें भीतर तक महसूस कराती हैं। ‘चिड़िया उड़’ उन सभी की कहानी है जो अपने ‘आसमान’ में उड़ने के लिए आज़ाद नहीं थे और उनकी भी है जो यह पहचान न पाए।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2023 Nidhi Saksena Taposhi Ghoshal

Qutb Minaar Ke Ped

क्या आपको पता था कि कभी कौआ क़ुतुब मीनार को अपनी साइकिल पर लाद ले गया था? या कि जब पापा को डॉक्टर के पास जाना पड़ा था तो क्या ग़ज़ब हुआ था? यह कहानी संकलन गुदगुदाता भी है और लोकजीवन की झलकियाँ भी देता है। भाषा का कमाल, शब्दों का खेल और संवाद गठे हुए तथा नुकीले हैं। इसके चित्र रंग बिरंगे हैं और कहानियों को ठोस या मूर्त बनाने में मदद करते हैं। चित्रों में कहानियों जैसी गतिशीलता है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2023 Prabhat Kavita Singh Kale

Registaan Mein Bus

अनेक विषयों, वस्तुओं पर रची गयीं कविताओं का यह गुच्छा शिशु गीतों की तरह सरल और सम्मोहक है। यहाँ हाट और गुड़ से लेकर बकरिय़ाँ, शेर और रेगिस्तान भी हैं। कल्पना की उड़ान और कौतुक से सम्पन्न इनकी भाषा का अपना मजा है। ये कविताएँ प्रत्येक वस्तु, जीव और व्यक्ति को नयी नजर से देखने व समझने को आमंत्रित करती हैं, जैसे गाँधी जी और मक़बूल फ़िदा हुसैन पर लिखी कविताएँ, और हमें जीवन की विविधता तथा बहुलता में ले जाती है। चटख रंगों और चौड़ी कूँची वाले चित्र कविता को भित्ति-चित्र की भाँति रूपायित करते हैं।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2023 Prabhat Rishi Sahany

Jacinta Ke Diary

जसिंता की डायरी में झारखंड और ओडिशा के आदिवासियों के संग बिताए गए उनके अनुभव और उनकी कुछ कविताएँ संकलित हैं। जसिंथा स्वयं एक आदिवासी परिवार से हैं। शायद इसलिए उनके वर्णन में खास यह है कि हमें आदिवासी जीवन का एक ‘इन्साइडर व्यू’ देखने को मिलता है। उनके जीवन के कई पहलुओं का वह बड़े अपनेपन से वर्णन करती हैं। परंतु इसके साथ ही इस खूबसूरत जीवन के निरंतर होते विध्वंस के दर्द का स्वर लगातार सुनाई देता है। इसके बावजूद जसिंथा ने इंसानियत पर अपने गहरे भरोसे को बचाकर रखा है क्योंकि वह मानती हैं कि इस दुनिया को सिर्फ़ प्रेम ही बचा कर रख सकता है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2023 Jacinta Kerkatta Priya Kuriyan

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