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इस कहानी में वेदना और संवेदना दोनों हैं। कहानी में पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों और प्रकृति के प्रति बहुत ही संवेदनशील दृष्टिकोण उभर कर सामने आता है। लेकिन दूसरी ओर इस संवेदना को तार-तार करती हुई भौतिकवादी इंसान की प्रवृत्ति की तस्वीर भी उभरती है। दोनों के टकराव को लेकर यह बेहतरीन कहानी बुनी गई है। कहानी का नाम गोदाम क्यों है और उस गोदाम में इंसान की क्या जगह है, यह कहानी के अंत में पता चलता है।
परिवार में मौत जैसी दुःखद घटना बच्चों के मन पर गहरा असर डालती है। उसका सामना और भी मुश्किल हो जाता हैं क्योंकि अक्सर, परिवार के बड़े इस विषय पर बच्चों से बात नहीं करते और आसपास का वातावरण ग़मगीन होने के कारण बच्चों के मन में उठते सवाल और डर दबे -दबे से रह जाते हैं । यह किताब दादी के चले जाने के बाद बच्ची के मन में आनेवाले विचारों की प्रस्तुति है जो बच्चों को अपनी बात रखने का संवेदनशील अवसर, बड़ी कुशलता से देती है।
Bhai Tu Aisi Kavita Kyun Karta Hai
किताब की कविताएँ बच्चे के हाथ लगे किसी नए खिलौने जितना ही मजा देती हैं। बच्चे उन्हें उछालकर, घुमा फिरा कर, आगे-पीछे फेंककर और उनमें झाँककर कैसे भी खेल सकते हैंI I कविताओं के विषय और उनका अंदाजेबयाँ बेहद अनूठा हैI अर्थपूर्ण तुकबन्दियाँ, कल्पनाओं की निरंतरता, सुन्दर लयकारी, कविता में कहानी कहने का सलीका और सिलसिलेवार बतियाने का तरीका नायब है। कुछ कविताओं में से झाँकती मुस्कुराहटें, खुशियाँ और मस्तियाँ दिलचस्प हैं। कविता ‘एक कहानी कहनी है’ बार-बार गुनगुनाने का मन करता है। चित्र कल्पनाओं में नए रंग भरने और बातचीत के मौके बनाते हैं।
किताब में आम इन्सान के जीवन में रची बसी चीजों हवा, जल, मिटटी, आलू , साइकिल, मिर्ची आदि के बारे में नायब और अनसुनी बातें हैं I जो ललित निबन्ध सा आनन्द देते है। लेखक इन चीजों को अपनी अनोखी व बारीक नज़रों से देखते और अभिभूत करते हैं। चीजों को नज़दीक से देखने और बयाँ करने की सूक्ष्म दृष्टि मिलती है। सच्चाइयों और कल्पनाओं का तालमेल पढ़ने की उत्सुकता बनाए रखता है।
भाषा रवानगी और प्रस्तुतिकरण किताब को अनूठा बनाते हैं। चित्र भी उतने ही सलोने और बोलते हैं, जितनी इसकी छोटे-छोटे वाक्यों में सधी हुई भाषा । पाठक को समृद्ध भाषा व अभिव्यक्ति के विविध रूपों से परिचित होने के मौके मिलते हैं
कहानी सशक्त है और समाज के उस वर्ग की परिस्थितियों के यथार्थ और मानवीय रिश्तों को दिखाती है जिनकी जगह आम बाल साहित्य में विरले ही मिलती है। कहानी में बच्ची का नाम मिट्टी ही बहुत कुछ कहता है। उसकी एक स्वाभाविक लेकिन असम्भव-सी इच्छा को पूरा करने के लिए माँ के सूझबूझ भरे जतन बच्चे के लालन-पालन की सीमाओं को एक अलग सन्दर्भ देते हैं । चित्र सहज सादगीपूर्ण और कहानी को बोलते-कहते लगते हैं। आठ पेज़ की एक रंगी छोटी-सी किताब कहानी के मामले में उम्दा है। बाल साहित्य में इस तरह की कहानियों का सादगी और सस्ते में आना सुकून देता है।
School Mein Humne Seekha Aur Sikhaya
यह छोटी-सी किताब अंग्रेजी माध्यम में पढ़नेवाले कई बच्चों की आपबीती हो सकती है । छोटे- बड़े गाँव शहरों में अभिभावक बड़े उम्मीदों से से बच्चे को अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में दाखिल करते हैं, पर ज़्यादातर बच्चों के लिए भाषा अपरिचित होने के कारण पढ़ाई कठिन और नीरस हो जाती है। यह किताब गोंड बच्चों के माध्यम से, इसी समस्या को उजागर करती हैं।यह श्रृंखला सरल भाषा,सहज प्रस्तुति और सार्थक प्रयास का उदाहरण है , जिसपर छात्र और शिक्षकों के बीच चर्चा निहायत जरुरी है ।
मुस्कान’ संस्था की बहुत ही सरल और छोटी सी दिखने वाली यह किताब अति संवेदनशील मुद्दे पर केंद्रित है। आज जब इंसान ने सभी जीवों की जगह हथिया ली है, यह कहानी इस नज़रिये को प्रस्तुत करती है कि यह धरती दूसरे जीवों की भी है। हम अनजाने में ही उनके घर और क्षेत्र में घुसपैठ कर रहे होते हैं। छोटी सी यह कहानी आदिवासी जीवन और लैंगिक समानता को भी बड़ी सहजता से प्रस्तुत कर देती है।
यह पूरे भारत के अलग-अलग क्षेत्रों के बच्चों द्वारा रचित चित्रों के साथ छोटी-बड़ी, खट्टी-मीठी, सरल-पेचीदा किस्से-कहानियों का संग्रह है। इसमें सभी वर्गों के पाठकों के लिए कुछ न कुछ मज़ेदार या दिलचस्प मिल जाता है। ये कहानियां केवल मनगढ़ंत ही नहीं बल्कि बच्चों की और आम लोगों की ज़िन्दगी की कहानियां भी हैं जिनके साथ बच्चे अपनी ज़िन्दगी को भी जोड़ सकेंगे।