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कहानियाँ जो शुरू नहीं हुईं

ये कहानियाँ एक भी हैं और अनेक भी, जो डर को डराती हैं, खोजबीन को उकसाती हैं और विचित्रताओं का सम्मान करना सिखलाती हैं। कथा की संरचना लोककथाओं जैसी है, लेकिन भाषा का खेल पहेलियों जैसा। यह एक जादुई संसार भी है जहाँ नाम लेते ही वह वस्तु प्रकट हो जाती है। विनोद कुमार शुक्ल द्वारा लिखित इन कहानियों में भूत की कहानियों का रोमांच है पर साथ ही एक बेतुका बेपरवाह अंदाज़ है जो आपको बरबस अपनी ओर खींचता है। विनोद कुमार शुक्ल की कुशल लेखनी कथानक और भाषा से कुछ यूँ खेलती है कि आप कभी डरे हुए, कभी भौंचक तो कभी बरबस हँसने लगते हैं।

स्लेटी, सफ़ेद और किसी भी एक रंग का इस्तेमाल चित्रों में बख़ूबी किया गया है जिससे वो कथा को साकार करते हैं।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2024 Vinod Kumar Shukla Debabrata Ghosh