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भालू का नाखून

यथार्थ, कल्पना, फैंटेसी और इंद्रजाल से बुनी ये कहानियाँ इतनी सम्मोहक हैं कि लगता है सब कुछ साक्षात घट रहा है। पहाड़ों, जंगलों के रहस्यमय संसार से लेकर क़स्बों के स्कूली वातावरण तक फैलीं ये कथाएँ जीवन के रोमांच और रहस्य का बखान हैं। चरवाहे, भेंड़ों और कुत्ते की कहानी, विचित्र भालू-नाखून की कहानी, सपनीली लड़की के लगातार बदलते जाने की हैरतअंगेज़ कहानी – सब की सब कहानियाँ परीकथाओं की तरह रोचक हैं। इनकी भाषा बेहद सर्जनात्मक है – ‘उसने खुशी के मारे जैसे खुद का ही एक चक्कर लगाया’। इसके चित्रों के कत्थई-भूरे रंगों की बहुतायत रहस्य-लोक को और भी सघन कर देती है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2024 Rishi Sahni Rishi Sahni