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Author (Hindi)
Shortlist 2019
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सबसे जरूरी है गांवकस्बे स्तर पर पुस्तकालय हो जहाँ बच्चों की अच्छी पुस्तकें मिलें। जब बच्चे अच्छा पढ़ेंगे, मांगेंगे तो स्तर भी बढ़ेगा।”

 बच्चों के लिए लिखने की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली?

मुझे चुनौती (Challenge) ने बच्चों के लिए लिखने को प्रेरित किया। मैं कोशिश करता था, पर बच्चों के लिए कहानी नहीं लिख पाता था। फिर मैंने इसे चुनौती की तरह लिया। जब मैंने बच्चों के लिए पहली कहानी लिखी, मुझे एक नया आनंद मिला। रचनात्मकता (Creativity) का एक नया क्षेत्र खुला। मैंने लिखना शुरू कर दिया। इतिहास की चीजें मैंने सामाजिक ज़िम्मेदारी की तरह लिखीं। बच्चों को इतिहास के ‘सच‘ को समझने और देखने का इंसानी नज़रिया मिले, इस उद्देश्य से भी इतिहास की चीजें लिखीं।

जब से आप बच्चों की किताबें पढ़ रहें हैं तब से आपने हिंदी बाल साहित्य की प्रकृति और प्रवृत्ति कोई बदलाव महसूस किया है?

बहुत ज्यादा फ़र्क़ आया है। हम जब पढ़ते थे तब राजा, भैय्या, बालक, चंदामामा और पराग फिर नंदन पत्रिकाएं थीं। इनमें बच्चों के लिए एक दुनिया गढ़ी जाती थी। इस दुनिया में परियाँ, राजा, रानी, भूत होते थे। जानवर फूल उपदेश या भाषा की तुकबंदी होती थी। आज सब कुछ बदल गया है। साहित्य में बच्चों की दुनिया वही है जो उनकी असली दुनिया है। जिसमें वे जी रहे हैं और आगे भी जीना है। इस दुनिया को, इसके काले-सफेद को उनके सामने कैसे रखा जाएयह आज का सरोकार है। इस सिलसिले में इकताराऔर साइकिल पत्रिका के काम को हम देख सकते हैं। प्रिटिंगप्रोडक्शन इलेस्ट्रेशन पूरी तरह बदल चुका है।

आप जैसे लेखक के लिए लिखना  क्या है जो बच्चो और बड़ो दोनों के लिए लिखते है ?

बच्चों और बड़ों की दुनिया दो अलग दुनिया नहीं हैं। दोनों एक दूसरे की दुनिया में आते जाते हैं। बच्चे बहुत कम उम्र में बड़ों की दुनिया भी समझने लगते हैं। मैं दोनो के लिखने में कोई फ़र्क़ नहीं करता सिवाए भाषा के। बच्चों के लिए लिखते समय भाषा सरल रखता हूँ। वाक्य छोटे और लय में रखता हूँ। यही बुनियादी फर्क है। इसके अलावा दोनों में ही जीवन के रहस्य,दर्शन, मूल्य रखने की कोशिश करता हूँ। बच्चों के लिए यथार्थ (Reality) कठोर तीखा और डराने वाला नहीं रखता। समाज, राज्य, कानून की जटिलताएं नहीं लिखता। धर्म, अश्लीलता, अनैतिकता से दूरी रखता हूँ। बस यही दोनों में फर्क रखता हूँ और लिखता हूँ।

आपकी पसंदीदा पुस्तक कौन सी है? कृप्या उस पुस्तक के बारे में संक्षेप में बताएँ l 

महाभारत। इसमें जीवन अपनी समग्रता (Completeness) के साथ उपस्थित है। साहित्य के सारे आधार तत्व (Basic Elements) हैं। कल्पना, प्रयोग, भाषा, फार्म, बिम्ब, (Emagery) द्वन्द्व (Duality) चरित्र हैं। समाज, राज्य, नैतिकता, धर्म, युद्ध के प्रश्न हैं।

आपका पसंदीदा लेखक कौन है और क्यों?

कोई एक लेखक प्रिय नहीं है। दरअसल किसी लेखक की कोई या कई पुस्तकें प्रिय होती हैं। इसलिए कई लेखक प्रिय हो जाते हैं।

फिर भी टॉलस्टॉय, दोस्तोयवस्की, काफ्का, मार्खेज, निर्मल, वर्मा, रेणु, निराला, मीर, ग़ालिब़, नज़ीर, अकबराबादी, रवीन्द्रनाथ, ताराशंकर, विमल मित्र शंकर है। बहुत से इतिहासकार भी हैं।

आपके लेखन करियर में अब तक का आपका सबसे अहम अनुभव क्या है?

मेरी पहली तीन कहानियाँ हिंदी की पत्रिकाओं में छपीं और फिर कहानियाँ वापस लौटने लगीं। मुझे उदास देख कर एक दिन मेरी माँ ने पूछा ‘क्या बात है मैंने उन्हें बताया। उन्होंने एक वाक्य कहा। तुम्हें अहंकार हो गया है‘। यही और सिर्फ यही सच था। लेखन में अहंकार मतलब लापरवाही, कम मेहनत करना। मैं यही कर रहा था। मैं यह बात फिर कभी नही भूला। मेरी कोई कहानी फिर कभी नहीं लौटी अपने लिखे पर अहंकार लेखक की निश्चित मृत्यु है।

आपके अनुसार, बच्चों के साहित्य को बढ़ावा देने में पुरस्कार क्या भूमिका निभाता है?

लेखक को जिम्मेदार बनाता है। पुरस्कार उसके काम की सामाजिक स्वीकृति है। यह उसमें अपने लिखे पर आत्मविश्वास पैदा करता है। दायित्व भावना (Sense of responsibilty) पैदा करता है। ये बातें उसे बच्चों के लिए और अधिक, और अच्छा लिखने को विवश करती हैं। इस तरह बच्चों का साहित्य बेहतर होता है। आगे बढ़ता है।

हमारे समाज में बाल साहित्य की स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए क्या किया जा सकता है?

बच्चों और बड़ों के साहित्य में बहुत फ़र्क़ न करें। वरिष्ठ और श्रेष्ठ लेखकों से बच्चों के लिए लिखवांए नकली नहीं, उनकी अपनी असली दुनिया की कहानियाँ दें। माता पिता की जिम्मेदारी है कि वह खुद पढ़ कर ढूँढ कर बच्चों को अच्छा साहित्य दें। सबसे ज़रूरी है गाँवकस्बे स्तर पर पुस्तकालय हों जहाँ बच्चों की अच्छी पुस्तकें मिलें। जब बच्चे अच्छा पढ़ेंगे, माँगेंगे तो स्तर भी बढ़ेगा।

हम बाल साहित्य लेखन के लिए युवा लेखकों को कैसे प्रोत्साहित कर सकते हैं?

उनकी रचनाएं सुंदर तरीके से बड़े स्तर पर प्रकाशित हों। उन्हें अच्छा पारिश्रमिक मिले। बच्चों के लिए लिखने से उन्हें इतना उत्साह और लाभ मिले कि वे इसे अपनी आजीविका और जीवन का उद्देश्य बना सकें। उनके सेमिनार हों,गोष्ठियाँ हो, आपस में बातचीत हो,अनुवाद हों। उन्हें पुरस्कार मिलें।