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बचपन की दुनिया कल्पना, सवालों और कोमल भावनाओं से भरी होती है। बच्चों का साहित्य न सिर्फ इस दुनिया को संबल देता है बल्कि सोच, संवेदना और पढ़ने का प्रेम भी जगाता है। उत्कृष्ट कृतियां बच्चों की कल्पना को पंख देती हैं और किताबों से उनका गहरा, आत्मीय रिश्ता बनाती हैं। आज भारत में बाल साहित्य की दुनिया तेजी से बढ़ रही है। कहानियाँ अधिक विविध, चित्रमय और विचारोत्तेजक हो रही हैं। लेकिन इन पुस्तकों की गुणवत्ता और लोकप्रियता का निर्णय प्रायः वयस्कों – विशेषज्ञों, शिक्षकों, समीक्षकों – द्वारा किया जाता है। बच्चों की खुद की पसंद, राय और प्रतिक्रिया अक्सर इस प्रक्रिया से बाहर रह जाती है।
पराग चिल्ड्रन्स चॉइस अवॉर्ड (PCCA) इसी बदलाव की एक पहल है। यहाँ बच्चे सिर्फ पाठक नहीं, बल्कि चयनकर्ता भी होते हैं। वे किताबें पढ़ते हैं, उन पर बात करते हैं, सोचते हैं और फिर अपनी सबसे पसंदीदा किताब को चुनते हैं। यह मंच उन्हें अपनी आवाज़ और पसंद को अहमियत देने का मौका देता है। बड़ों के रूप में यह हमें याद दिलाता है कि बच्चों की पसंद और भावनाएं समझनी हों, तो पहले हमें उन्हें ध्यान से सुनना होगा।
कौन शामिल हो सकते हैं?
बच्चों की सुझाई गई आयु
आवश्यक संसाधन
आवश्यक प्रतिबद्धता