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मनीषा चौधरी 1986 से किताबोंं की दुनिया से जुड़ी हुई हैं। नारीवादी प्रकाशन केे साथ काम करते हुए उन्होंंने कई महत्वपूर्ण अनुवाद किए हैं, जिन्हें समीक्षकोंं ने सराहा है और कई पुरस्कारों सेे सम्मानित भी किया गया है। हर बच्चे को अपनी ज़बान में मज़ेदार किस्से-कहानियाँँ पढ़ने का मौका मिले इस कोशिश में मनीषा ने बतौर संंपादक, लेखक और अनुवादक बहुभाषीय बाल साहित्य प्रकाशन की गतिविधियोंं में काफ़ी समय गुज़ारा है। अक्कड़ बक्कड़ बोलने का मज़ा हो या सुनसान रात में जंंगल का रास्ता पकड़ने का रोमांंच, है तो सारा खेल भाषा का। ये खेल सभी के लिए सुलभ हो और बहुत कुछ सोचने, समझने और महसूस करने के लिए स्वच्छंंद वातावरण मिले इसी तमन्ना को लेकर काम करना मनीषा को अच्छा लगता है।