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किताब का नाम – घुड़सवा
लेखक – उदयन वाजपेयी
प्रकाशक – जुगनू (तक्षशिला प्रकाशन)

उदयन वाजपेयी देश के शीर्ष रचनाकारों एवं कलामर्मज्ञों में से एक हैं। इधर हाल के वर्षों में उन्होने बच्चों के लिए लिखना शुरू किया है। उनकी रचनाएँ चकमक, साइकिल आदि पत्रिकाओं में पढ़ने को मिलती रहती हैं। जूगनू प्रकाशन ने उनकी इन रचनाओं को एक जिल्द में पाठकों के लिए प्रस्तुत किया है। ‘घुड़सवार’ शीर्षक से प्रकाशित इस किताब में तीन कहानियाँ और देखना, सुनना, स्वाद, गंध और स्पर्श विषयों पर छोटे किन्तु परिचयात्मक लेख भी शामिल हैं।

तीनों कहानियाँ जैसे ‘घुड़सवार’, ‘लंबे राजा के आँसू’ और ‘बिलौटे की पसंद’ पढ़ने में रोचक एवं सरस हैं। ये कथा-रस से भरपूर कहानियाँ हैं, जो लोक-कथाओं सरीखी लगती हैं। इन कहानियों में एक लयात्मकता है। यानि पढ़ने वाला इन्हें सुना भी सकता है। इन कहानियों में बच्चों के लिए यथार्थ को समझने और कल्पनाशीलता के भरपूर मौके हैं।

‘घुड़सवार’ जो कि संयोगनगर का राजकुमार है, उसके पास आवाज से भी तेज दौड़ने वाला घोड़ा है। उस घोड़े पर सवार हो वह राजनगर के बाहर की दुनिया देखता है मसलन – जंगल, पहाड़, नदी, चिड़ियाँ, कीट पतंगे आदि। कहानी का मूल स्वर ‘प्रकृति के प्रति संवेदना’ का है।

लंबे के राजा आँसू कहानी में एक लंबा राजा है, जो आसमान के पार देख सकता है। दु:ख और सुख दोनों पलों में उसके आँसू बहते हैं। उसकी ऊँचाई इतनी कि वह अपनों को भी बमुश्किल से पहचान पाता है। बिना उन्हें जाने-समझे फरमान भेजता रहता है। यह कहानी वर्तमान समय में प्रासंगिक है।

तीसरी कहानी ‘बिलौटे की पसंद’ उन्हें समझने की ओर हमारा ध्यान दिलाती है, जो हमारे आसपास रहते हुए भी लगभग अरदृश्य हैं। जिनके बारे में हम अनुमान ही लगाते हैं, नजदीक से समझने की कोशिश नहीं करते। इस कहानी में एक भारी-भरकम भालू है। वह पेड़ पर लगे शहद के छत्ते को तोड़ने की फ़िराक में है। लेकिन नाकाम रहता है। वह सोचता है कि बिलौटा बन जाए। बिलौटा बन भी जाता है। लेकिन क्या बिलौटे को भी शहद पसंद है? बहुत ही रोचक कहानी।

ये कहानियाँ कल्पना और यथार्थ को लेकर इस तरह बुनी गई हैं कि पाठक को आनंद भी आता है और वर्तमान जीवन को परखने का हुनर।

पाँच लेख किशोर पाठकों के लिए अनुभव के दरवाजे खोलने वाले हैं। लेखों की भाषा अनूठी है जो पाठक को इस विधा में भी बांधती है और कथा सरीखा अनुभव देती है। भाषा को इस तरह बरता गया है कि पढ़ने वाला लेख स्वतः पढ़वा ले जाते हैं। इन लेखों में प्रयुक्त हुए कला, विश्व साहित्य-सिनेमा और विज्ञान के संदर्भ इन लेखों की थाती हैं। जो पाठक को लेखों को पढ़ते हुए, उनके बारे में जानने की जिज्ञासा पैदा करते हैं।

तपोषी घोषाल के चित्र इस किताब की कहानियों और लेखों के पूरक हैं। विशेषकर शीर्षक कहानी ‘घुड़सवार’ के चित्र। पाठक अवश्य ही इनसे गुजरते हुए कहानी में अन्य चित्रों की उम्मीद करेगा। यह इसके चित्रों का सम्मोहन है। इस प्रकार शब्दों और चित्रों से सजी यह किताब बच्चों की लाइब्रेरी के लिए अनिवार्य लगती है।

jamlowalks

When ‘Jamlo Walks’ with Children

Chandrika Kumar, …yr old, from a village in Okra, Khunti district of Jharkhand, shared her response after listening to ‘Jamlo Walks’…

Divya Tirkey Parag Reads 04 Nov 20201