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किताब का नाम- आखिर नेपो ने साडी का क्या किया ?
लेखक – बेनिता सेन
चित्रांकन – शेखर मुखर्जी
उम्र – 6 से 10 वर्ष
प्रकाशक – कथा
“आखिर नेपो ने साडी का क्या किया?” एक मजेदार पिक्चर बुक है, जिसमें लेखिका ने कहानी को एक खास तरह के तुकबंदी के रूप में प्रस्तुत किया है| लेखिका ने कहानी को बड़े ही अच्छे तरीके से हर पन्ने पर चार चार पंक्तियों में लिखा है| सरल भाषा के इस्तमाल से यह किताब बच्चों के लिए बहुत बढ़िया है लगती| कहानी रोचक होने के साथ साथ बच्चों को तुकबंदी से भी परिचित करती है, कहानी की रोचकता और आगे के घटनाक्रम के अनुमान में पाठक पन्ना दर पन्ना बढ़ता चला जाता है|
नेपो एक गरीब किसान है, और एक पुरानी शर्ट के लिए दादू के पास आता है और उनसे अनुरोध करता है। क्या वह इस अनुरोध का जवाब देंगे ? दादू के चेहरे पर जो कुछ भी देखा जा सकता है वह चौंकाने वाला है। परन्तु दादी मदद देने के लिए तुरंत आतीं है। और वो अपनी एक साड़ी नेपो को दे देतीं है, अब देखना यह है कि नेपो साड़ी का क्या करेगा जो दादी ने दी है, पढ़ें और पता करें| कहानी के पात्र वास्तविक लागतें हैं और कोई भी सनकी दादू, अति मददगार दादी से साथ सम्बन्ध बैठा सकता है|
शेखर मुखेर्जी ने बहूत की बढियां चित्र बनायें है| कहानी में हर एक पात्र के हाव भाव बखूबी दर्शाया गए है| हास्य व्यंग्य से भरे ये चित्र बड़े ही मनमोहक है, चित्रांकन-कर्ता ने चित्रों को बनाते हुए छोटी से छोटी बारीकियों का भी ध्यान रखा है| चित्रों के चेहरों पर के भाव कहानी से काफी मिलतें है, चाहे वो दादा जी के चेहरे पर आया गुस्सा हो या दादी का झेप जाना|
किताब के आखरी पन्ने पर साड़ी पहने के इतिहास की कुछ सूचनाएँ है जो इस किताब को बच्चों के लिए और भी उपयोगी बनता है| साड़ी के बारे में दी गई ये सूचनायें भी बहुत मजेदार ज्ञानप्रद है|
किताब की बनावट काफी अच्छी है, खास कर चित्रों और शब्दों के आकार, पुस्तक का मूल्य 145 रपये है जो कि थोडा ज्यादा लगता है|
Musings from a teacher’s training
Through this year our team has been engaged with government teacher’s training in Uttar Pradesh for libraries in schools…
एल.ई.सी. 2017 में मैंने कोर्स के दौरान पढ़ने से जुडी गतिविधियों के बारे में कई लेख पढ़े| जिससे कि बच्चों में किस प्रकार पढ़ने की क्षमता विकसित होती है इस विषय पर मेरी समझ काफी मजबूत हुई|…