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इस कहानी में वेदना और संवेदना दोनों हैं। कहानी में पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों और प्रकृति के प्रति बहुत ही संवेदनशील दृष्टिकोण उभर कर सामने आता है। लेकिन दूसरी ओर इस संवेदना को तार-तार करती हुई भौतिकवादी इंसान की प्रवृत्ति की तस्वीर भी उभरती है। दोनों के टकराव को लेकर यह बेहतरीन कहानी बुनी गई है। कहानी का नाम गोदाम क्यों है और उस गोदाम में इंसान की क्या जगह है, यह कहानी के अंत में पता चलता है।