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Welcome to the Forest

A forest walk is the most wondrous experience for every child and that is how Tulsa and her friends feel when they are invited for a special walk with caring forest offcials to steer them around. They touch, feel, smell, listen to, and get to know so many creatures. The illustrations are rich and resplendent with colour. At the end you hear this is a true story and you feel enriched by this experience too.

Pratham Books 2020 Bhavna Menon Kavita Singh Kale

The Harmony of Bees and Other Charms of Creepy Crawlies

Creepy-crawlies are an eternal source of fascination as well as revulsion. In this highly readable book by a seasoned naturalist, everday insects are portrayed with a fresh perspective, revealing bizzare aspects of thier lives. Male spiders woo mates with gifts to avoid being eaten by her. Butterflies don’t just drink nectar, but also blood and alchohol. Read on!

Talking Cub - an imprint of Speaking Tiger 2023 Ranjit Lal Kavita Singh Kale

Qutb Minaar Ke Ped

क्या आपको पता था कि कभी कौआ क़ुतुब मीनार को अपनी साइकिल पर लाद ले गया था? या कि जब पापा को डॉक्टर के पास जाना पड़ा था तो क्या ग़ज़ब हुआ था? यह कहानी संकलन गुदगुदाता भी है और लोकजीवन की झलकियाँ भी देता है। भाषा का कमाल, शब्दों का खेल और संवाद गठे हुए तथा नुकीले हैं। इसके चित्र रंग बिरंगे हैं और कहानियों को ठोस या मूर्त बनाने में मदद करते हैं। चित्रों में कहानियों जैसी गतिशीलता है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2023 Prabhat Kavita Singh Kale

Jiske Paas Chali Gayi Meri Zameen

यह अनूठी पुस्तक एक खेतिहर की कथा कहती है जिसकी ज़मीन छिन कर दूसरे के पास चली गयी है और उसी के साथ बादल, बारिश, सुगंध और मल्हार भी विदा हो गये हैं। अपने बिम्बों तथा संगीत के ज़रिए सब कुछ खोने की अनुभूति को यह कविता मार्मिकता से व्यक्त करती है। रंग -बिरंगे चित्र वातावरण को बखूबी व्यक्त करते हैं। यह कविता दूसरों के दुख और पीड़ा के साथ तादात्म्य स्थापित करने का उदाहरण है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2021 Naresh Saxena Kavita Singh Kale

Amma

यह चित्र कथा एक मेले में अम्मा के खोने, और बच्चे द्वारा अम्मा को तलाशने की कहानी है। यह कहानी मेले के बहुरूप चित्रों के माध्यम से मेले का विस्तृत व बहुसांस्कृतिक परिवेश गढ़ती है। अम्मा को खोजते बच्चे का कुछ सोचना और फ़िर भागकर महिला पुलिस से पूछना ‘क्या आपने इस मेले में एक ऐसी अम्मा को देखा, जिसके पास मेरे जैसा बच्चा नहीं है?’ सवाल से बच्चे की त्वरित सूझबूझ और सहज भोलेपन का जो रूप उभरता है, वह इसे एक दिलचस्प व नायाब रचना बनाता है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2021 Kavita Singh Kale Kavita Singh Kale