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यह भी एक अनूठी किताब है। इसे खुद बच्चों ने तैयार किया है। बातें भी उनकी हैं और साथ के चित्रांकन भी उनके या उनके साथियों के। ये कहानियाँ इस अर्थ में हैं कि इनमें कुछ न कुछ घटता है और खुद उनके साथ या उनके साथ के लोगों के साथ घटता है। ये अपने जीवन की सच्ची कहानियाँ हैं जिनमें कई तरह के खट्टे मीठे अनुभव हैं, फ़सल कटाई से लेकर स्टेशन पर खोने और अपनी भैंस की कहानी भी। ये पढ़ने वाले के भीतर प्रेम, दुलार और सच्चाई के भाव विकसित करती हैं।
यह एक अनूठी कथा-पुस्तक है जिसे स्वयं बच्चों ने अपनी ज़िन्दगी की। बातों, घटनाओं और लोगों से बनाया है। लेकिन यह हाशिए का जीवन है। यहाँ धान की निंदाई है, जंगल में अचार बीनने की कहानी है, टिटहरी का बच्चा है और कबूतर का चौतरा जैसी मार्मिक कथा है। सब सच हैं और सब को अपनी बोली में बच्चों ने लिखा है। ऐसी रचना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह हर पढ़ने वालों को दूर दराज़ की जिन्दगी और लोगों तक ले जाती है जिससे हमारा हृदय और मन बड़ा होता है।
यह “अंकुर सोसाइटी फॉर अल्टरनेटिव्स इन एडुकेशन” के बच्चों द्वारा लिखी गयी कहानियों का संकलन है। यह एक असाधारण संग्रह है। इस संग्रह को पढ़कर लगता है कि बच्चों के लेखन को संपादित करके प्रकाशित करना बुरा विचार नहीं है। ‘भाई की बकबक’; ‘नेकलेस’; ‘दुआ’; ‘पुत्री का ख़त पिता के नाम’; ‘खिड़की, हवा, मछली और मैं’ अगर डायरी लेखन है तो उतना ही कहानी लेखन भी है। लगता है बच्चे खुद ही वह साहित्य रच लेते हैं जिसकी उन्हें भावनात्मक या बौद्धिक ज़रूरत मह्सूस होती है।