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Teesra Dost

विनोद कुमार शुक्ल ऐसे बिम्ब और प्रतीक रचते हैं कि पाठक को गद्य में भी कविता का रस मिलता है। ‘तीसरा दोस्त’ एक छोटी कहानी है जिसमें एक एहसास पूरे जीवन की तरह समाया हुआ है। दो दोस्तों का गहरापन, उनका एक दूसरे में अभिन्न रूप से शामिल होना एक चमत्कार की तरह घटता है। अतनु राय के चित्र हमेशा की तरह इसमें एहसास का गाढ़ापन भरते हैं।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2022 Vinod Kumar Shukl Atanu Roy

Bante Kahan Dikha Aakash

इस संग्रह की कविताएँ विस्मय-बोध, शब्द-क्रीड़ा और फैंटेसी का अनुपम उदाहरण हैं। यहाँ साधारण और आसपास की चीज़ों के भीतर बसने वाले रहस्य और सौन्दर्य को मनोरम तरीक़े से व्यक्त किया गया है। ये कविताएँ कल्पना को पंख देती हैं और हर वस्तु के अलक्षित पक्ष को ढ़ूँढ़ने को प्रोत्साहित करती हैं। ’कहने को कुछ बचा नहीं ऐसा कभी नहीं होता’, यह वाक्य रचनाशीलता के मंत्र की तरह है।

साथ के चित्र भी अपने प्रयोगशील रंगों और रेखाओं से कविता को प्रकाशमान करते है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2022 Vinod Kumar Shukl Taposhi Ghoshal

Gamle Mein Jungle

भीतर और बाहर के परस्पर संबंध को व्याख्यायित करती यह पुस्तक केवल एक कविता से बनी है। यह कविता प्रकृति का सम्मान और प्रकृति की निजता की रक्षा का संकल्प है। साथ के चित्र भी इस भाव को अनेक रंगों और आकृतियों के माध्यम से मुखरित करते हैं।यहाँ कम शब्दों में सूत्रात्मक शैली में मनुष्य,प्रकृति और परिवेश के संबंध को मूर्त किया गया है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2021 Vinod Kumar Shukl Chandramohan Kulkarni

Ek Kahani

‘एक कहानी’ सात सम्मोहक कहानियों का विरल संग्रह है।यहाँ बचपन के अनुभव और स्मृतियाँ कल्पना का मेल पाकर विलक्षण कथा-रूपों में बदल जाती हैं।इन कहानियों  का जादुई और अतीन्द्रिय लोक हमारी कल्पना-शक्ति को उद्दीप्त  करता है और सब कुछ को पुन: नये नये तरीक़े से देखने को बाध्य करता है।भाषा का ऐसा खेल और अप्रत्याशित संयोजन विस्मित करता हुआ हमें वस्तुओं के अंदरूनी जगत में ले जाता है।यहाँ लोक कथाओं- सी सादगी और बनक है और विज्ञान कथाओं का रोमांचक रहस्य-बोध ;लेकिन अपनी दृष्टि और भाषा-व्यवहार में बिल्कुल अनूठा,अप्रमेय।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2021 Vinod Kumar Shukl Atanu Roy

Godaam

इस कहानी में वेदना और संवेदना दोनों हैं। कहानी में पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों और प्रकृति के प्रति बहुत ही संवेदनशील दृष्टिकोण उभर कर सामने आता है। लेकिन दूसरी ओर इस संवेदना को तार-तार करती हुई भौतिकवादी इंसान की प्रवृत्ति की तस्वीर भी उभरती है। दोनों के टकराव को लेकर यह बेहतरीन कहानी बुनी गई है। कहानी का नाम गोदाम क्यों है और उस गोदाम में इंसान की क्या जगह है, यह कहानी के अंत में पता चलता है।

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Jugnoo Prakashan (Ektara) 2020 Vinod Kumar Shukl Taposhi Ghoshal