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Raffu Ki Jalebi

केवल एक कविता से बनी यह पुस्तक जलेबी का गुणगान है। जलेबियों के पारने, छानने, रस में पगने, दोने में परोसे जाने और फिर मुँह में डलने तक का पूरा क़िस्सा मज़ेदार पदों में दिया गया है। साथ ही जलेबियाँ बनाने वाले रफ्फू भाई की महिमा का बखान भी है। बोलचाल की मुहावरेदार भाषा और रसभरे चक्करदार वाक्यों की अद्भुत मिठास विरल घटना है। पूरे वातावरण को ख़ुशनुमा बनाते रंग और रेखांकन देखते ही बनते है। यह कविता जलेबियों के बहाने जीवन की छोटी छोटी बातों और खुशियों का शानदार उत्सव है।

Eklavya 2023 Sushil Shukl Prashant Soni

Neem Teri Nimboli

सबसे अलग लगने वाली यह कविता नीम से एक प्यारी दोस्ताना बातचीत है। इस कविता का अंदाज और बिम्ब, दोनों ही इसे अनूठी बना देते हैं। गीली धूप, पश्मीना फूल, और शोख़ी डाल सरीखे पद, देखने का अंदाज ही बदल देते हैं। यह कविता नीम के पूरे पेड़ की कविता है। नीम के फूल, डाल, पत्ते, निंबोली और छाया तक के बारे में एक साथ। नीम को इतने प्यार और अपनेपन से कम देखा गया होगा। भाषा इतनी आसान कि कविता तुरंत कंठस्थ हो जाती है| चित्रों के रंग नीम के शरीर के हर रंग तथा स्वभाव को जीवंत कर देते हैं।

Eklavya 2022 Sushil Shukl Vasundhara Arora

Aada Paada

क्या ‘पादने’ जैसे विषय पर ‘छी’ के सिवाय भी कुछ कहा जा सकता है? यह नमकीन कविता ज़रूर हँसाएगी, चोरी – छिपे नहीं, बल्कि खुल के, मिल-जुल के। सभी जानवरों का पादने का स्टाइल अलग है! क्या हमारा भी? या कि इस पर बात ही नहीं करनी? कविता के साथ चित्र भी कमाल के हैं – शोख, गाढ़े रंगों वाले।अपने आप में बोलने और कहने वाले।

Eklavya 2022 Sushil Shukl Atanu Roy

Tiffin Dost

टिफिन दोस्त एक नटखट और प्यारी किताब है। सुशील शुक्ल ने बच्चों की बातों को अपनी कविता में बख़ूबी पिरोया है। प्रिया कुरियन के चित्र भी मस्ती भरे हैं और शब्दों के चुलबुलेपन का साथ निभाते हैं। बच्चों की स्कूली ज़िन्दगी में टिफिन एक बहुत अहम् हिस्सा है और इस से जुड़ी कई बातें कविता में दिखती हैं। यह किताब अलग-अलग परिवारों के खानपान को लेकर कई सवाल भी खड़े करती है। यह मज़ेदार कविता बच्चे और बड़े, दोनों पसंद करेंगे।

Eklavya 2022 Sushil Shukl Priya Kuriyan

Feriwale

कई पन्नों पर नयनाभिराम चित्रों के साथ सज्जित यह कविता रोज़-ब-रोज़ के एक सुपरिचित दृश्य यानी फेरीवालों के मुहल्ले में आने और बच्चों-सयानों के उनके पास आ जुटने का वर्णन करती है। बोलचाल की सहज पर व्यंजक भाषा में इसकी रचना हुई है। पूरे-पूरे सुगठित वाक्य इसकी शोभा हैं। अनेक ब्योरों से भरी यह कविता चित्रात्मक और मार्मिक है। फेरीवाले के बीमार पड़ने पर पूरे मुहल्ले की सहानुभूति हमारे सामाजिक जीवन और मानवीयता को दर्शाती है।

Eklavya 2021 Sushil Shukl Nilesh Gehlot

Machli Nadi Khol Ke Baithi

इस नन्हीं-सी कल्पनाशील कविता को बार-बार पढ़ने की अभिलाषा होती है शायद अगली बार कुछ अर्थ या भाव बन सके। कुछेक बार पढ़ने पर ही कविता से निकटता बन पाती है । प्रकृति के सन्दर्भ में खोल शब्द से कई मायने बनते बदलते रहते हैं। संभवतः कविता कहती है , खोल के प्रस्तुत प्रकृति में कुछ भी छुपाए या चुराए जाने का डर नहीं है, यह तो दुनिया है, जो चप्पे-चप्पे तालों में है । सुकून देते चित्र कविता के भाव को कुछ और आगे ले जाते हैं। लेखन की केलीग्राफ़ी सुन्दर व कविता के भावों के अनुरूप है। कविता को शब्दशःयाद करना भले संभव न हो, फिर कभी दुबारा पढ़ने पर कुछ नया कहने, गुनगुनाने वादा ज़रूर करती है।

Eklavya 2021 Sushil Shukl Vasundhara Arora

Ye Saara Ujala Sooraj Ka

‘ये सारा उजाला सूरज का’ एक सम्मोहक कविता है जो संसार की हर शै में सूरज की उपस्थिति और रूपांतरण को प्रस्तुत करती है।हवा,पानी,जीवों तक में सूरज अलग अलग रंग-रूप में मौजूद है।नये बिम्बों,कल्पनाशील प्रयोगों और जादुई संगीत के कारण यह कविता पुस्तक सहज ही कंठस्थ की जा सकती है।शब्दों को विस्तार देते चित्र सूर्य-किरण के वर्ण-क्रम को व्यक्त करते हैं।सूर्य के महिमा-गान के साथ यह कविता सभी जीवों और पदार्थों की आंतरिक एकता को स्वर देती है।

Eklavya 2021 Sushil Shukl Shilpa Ranade

Bhai Tu Aisi Kavita Kyun Karta Hai

किताब की कविताएँ बच्चे के हाथ लगे किसी नए खिलौने जितना ही मजा देती हैं। बच्चे उन्हें उछालकर, घुमा फिरा कर, आगे-पीछे फेंककर और उनमें झाँककर कैसे भी खेल सकते हैंI I कविताओं के विषय और उनका अंदाजेबयाँ बेहद अनूठा हैI अर्थपूर्ण तुकबन्दियाँ, कल्पनाओं की निरंतरता, सुन्दर लयकारी, कविता में कहानी कहने का सलीका और सिलसिलेवार बतियाने का तरीका नायब है। कुछ कविताओं में से झाँकती मुस्कुराहटें, खुशियाँ और मस्तियाँ दिलचस्प हैं। कविता ‘एक कहानी कहनी है’ बार-बार गुनगुनाने का मन करता है। चित्र कल्पनाओं में नए रंग भरने और बातचीत के मौके बनाते हैं।

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