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Jiske Paas Chali Gayi Meri Zameen

यह अनूठी पुस्तक एक खेतिहर की कथा कहती है जिसकी ज़मीन छिन कर दूसरे के पास चली गयी है और उसी के साथ बादल, बारिश, सुगंध और मल्हार भी विदा हो गये हैं। अपने बिम्बों तथा संगीत के ज़रिए सब कुछ खोने की अनुभूति को यह कविता मार्मिकता से व्यक्त करती है। रंग -बिरंगे चित्र वातावरण को बखूबी व्यक्त करते हैं। यह कविता दूसरों के दुख और पीड़ा के साथ तादात्म्य स्थापित करने का उदाहरण है।

Jugnoo Prakashan (Ektara) 2021 Naresh Saxena Kavita Singh Kale