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यह एक भिन्न कोटि की किताब है जहाँ कथा-संवाद की शैली में कोई अप्रचलित बात कही जाती है और वाद-विवाद के लिए प्रेरित किया जाता है। मासूम से लगने वाले सवाल पूरी व्यवस्था को ही कठघरे में खड़ा करते हैं। पर ये बहुत मनोरंजक भी हैं, कई बार चुटकुलों जैसे। इन्हें पढ़ते हुए उसे बच्चे की याद आ सकती है जिसने पहली बार कहा था कि राजा नंगा है। दिये गये रेखांकन भी कथानक को सजीव बनाते हैं जो लगातार स्याह कूँची से बने हैं।