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यह पूरे भारत के अलग-अलग क्षेत्रों के बच्चों द्वारा रचित चित्रों के साथ छोटी-बड़ी, खट्टी-मीठी, सरल-पेचीदा किस्से-कहानियों का संग्रह है। इसमें सभी वर्गों के पाठकों के लिए कुछ न कुछ मज़ेदार या दिलचस्प मिल जाता है। ये कहानियां केवल मनगढ़ंत ही नहीं बल्कि बच्चों की और आम लोगों की ज़िन्दगी की कहानियां भी हैं जिनके साथ बच्चे अपनी ज़िन्दगी को भी जोड़ सकेंगे।
देश के अलग अलग प्रदेशों से आनेवाले बच्चों द्वारा लिखी गयी चुनिंदा कविताओं का यह खुशमिजाज संकलन हर स्कूल की लाइब्रेरी में होनी चाहिए। सभी कविताएं बेहद सहज और सरल हैं ,खूबसूरत चित्रों से सजाई हुई। कविताओं के विषय आम तौर पर पाठ्यपुस्तकों में मिलनेवाली कविताओं की तरह भारी- भरकम नहीं, बच्चों की दुनिया से जुड़े हुए हैं इसलिए वे बच्चों को जरूर पसंद आएंगी । बच्चों को कविताओं और किताबों की दुनिया से ख़ुशी -ख़ुशी जोड़नेवाली किताब, बेहद आकर्षक प्रस्तुति!
“एकलव्य की पत्रिका चकमक के कॉलम ‘माथापच्ची’ में छपी गतिविधियों का सुविचारित संकलन है। इनमें पहेलियाँ, भूलभुलैया, सुडोकू, छुपनछुपाई, अन्तर खोजो और माथापच्ची के सवाल शामिल हैं। पहेलियाँ ,बच्चों और बड़ों को मजेदार दिमागी खेलों के साथ खेलते हुए समस्याओं और सवालों से जूझने व सुलझाने, चीज़ों को बारीकी से देखने और तलाशने, तर्क वितर्क करने, कार्य-कारण रिश्ते खोजने, अंतरों को पहचानने, अनुमान लगाने, तुलना व कल्पना करने और कई हस्तकौशल आदि के अवसर मुहैया कराती हैं। पहेलियों और चित्रों का संयोजन उम्दा है। चित्र बच्चों के जीवन से जुड़े प्रतीत होते हैं पाठकों को बातचीत और सोचने विचारने का अवसर देते हैं।”