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पेड़ों की अम्मा

इस संग्रह की कविताओं की विषयवस्तु हमारा अड़ोस-पड़ोस है—हवा, धूप, पानी, बादल जैसी दैनंदिन जीवन की चीज़ें और उपस्थितियाँ। लेकिन कल्पना-शक्ति ने इनके नये नये संयोग बनाए हैं। ’सूरज का फूल खिला है,समय का फूल खिला है’…..सरीखी कविताएँ संसार को नयी नज़र से देखने और पहचानने का उद्यम हैं। छंद और लय का ललित व्यवहार करती ये कविताएँ सहज ही स्मृति में ठहर जाती हैं। साथ के चित्र रंगों का व्यंजक प्रयोग करते हुए कविताओं को प्रासंगिक पृष्ठभूमि प्रदान करते हैं।

जुगनू प्रकाशन 2022 प्रभात भार्गव कुलकर्णी

जिसके पास चली गयी मेरी ज़मीन

यह अनूठी पुस्तक एक खेतिहर की कथा कहती है जिसकी ज़मीन छिन कर दूसरे के पास चली गयी है और उसी के साथ बादल, बारिश, सुगंध और मल्हार भी विदा हो गये हैं। अपने बिम्बों तथा संगीत के ज़रिए सब कुछ खोने की अनुभूति को यह कविता मार्मिकता से व्यक्त करती है। रंग -बिरंगे चित्र वातावरण को बखूबी व्यक्त करते हैं। यह कविता दूसरों के दुख और पीड़ा के साथ तादात्म्य स्थापित करने का उदाहरण है।

जुगनू प्रकाशन 2021 नरेश सक्सेना कविता सिंह काले

बनते कहाँ दिखा आकाश

इस संग्रह की कविताएँ विस्मय-बोध, शब्द-क्रीड़ा और फैंटेसी का अनुपम उदाहरण हैं। यहाँ साधारण और आसपास की चीज़ों के भीतर बसने वाले रहस्य और सौन्दर्य को मनोरम तरीक़े से व्यक्त किया गया है। ये कविताएँ कल्पना को पंख देती हैं और हर वस्तु के अलक्षित पक्ष को ढ़ूँढ़ने को प्रोत्साहित करती हैं। ’कहने को कुछ बचा नहीं ऐसा कभी नहीं होता’, यह वाक्य रचनाशीलता के मंत्र की तरह है।

साथ के चित्र भी अपने प्रयोगशील रंगों और रेखाओं से कविता को प्रकाशमान करते है।

जुगनू प्रकाशन 2022 विनोद कुमार शुक्ल तपोशी घोषाल

टिफ़िन दोस्त

टिफिन दोस्त एक नटखट और प्यारी किताब है। सुशील शुक्ल ने बच्चों की बातों को अपनी कविता में बख़ूबी पिरोया है। प्रिया कुरियन के चित्र भी मस्ती भरे हैं और शब्दों के चुलबुलेपन का साथ निभाते हैं। बच्चों की स्कूली ज़िन्दगी में टिफिन एक बहुत अहम् हिस्सा है और इस से जुड़ी कई बातें कविता में दिखती हैं। यह किताब अलग-अलग परिवारों के खानपान को लेकर कई सवाल भी खड़े करती है। यह मज़ेदार कविता बच्चे और बड़े, दोनों पसंद करेंगे।

एकलव्य 2022 सुशील शुक्ल प्रिया कुरियन

पानी उतरा टीन पर

‘पानी उतरा टीन पर’ छंदोबद्ध कविताओं का संग्रह है। आसपास की चीज़ों जैसे बारिश, सूरज,चाँद, चींटी को लेकर सृजित ये कविताएँ सुपरिचित को नये तरीक़े से प्रस्तुत करती हैं। इनमें स्वर और तुकों का खेल मोहक है। कल्पना को जागृत करती ये कविताएँ सहज ही कंठस्थ हो जाती हैं। आसपास के सौन्दर्य को प्रकाशित करने वाली ये कविताएँ भाषा के प्रयोगात्मक व्यवहार के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। साथ के रेखांकन कविताओं के भावों का पुनर्सृजन करते हैं।

जुगनू प्रकाशन 2021 प्रमोद पाठक नीलेश गहलोत

गमले में जंगल

भीतर और बाहर के परस्पर संबंध को व्याख्यायित करती यह पुस्तक केवल एक कविता से बनी है। यह कविता प्रकृति का सम्मान और प्रकृति की निजता की रक्षा का संकल्प है। साथ के चित्र भी इस भाव को अनेक रंगों और आकृतियों के माध्यम से मुखरित करते हैं।यहाँ कम शब्दों में सूत्रात्मक शैली में मनुष्य,प्रकृति और परिवेश के संबंध को मूर्त किया गया है।

जुगनू प्रकाशन 2021 विनोद कुमार शुक्ल चंद्रमोहन कुलकर्णी

फेरीवाले

कई पन्नों पर नयनाभिराम चित्रों के साथ सज्जित यह कविता रोज़-ब-रोज़ के एक सुपरिचित दृश्य यानी फेरीवालों के मुहल्ले में आने और बच्चों-सयानों के उनके पास आ जुटने का वर्णन करती है। बोलचाल की सहज पर व्यंजक भाषा में इसकी रचना हुई है। पूरे-पूरे सुगठित वाक्य इसकी शोभा हैं। अनेक ब्योरों से भरी यह कविता चित्रात्मक और मार्मिक है। फेरीवाले के बीमार पड़ने पर पूरे मुहल्ले की सहानुभूति हमारे सामाजिक जीवन और मानवीयता को दर्शाती है।

एकलव्य 2021 सुशील शुक्ल नीलेश गहलोत

टके थे दस

ऐसी कितनी ही कविताएं और गीत हैं जो बचपन में खेल का अनिवार्य हिस्सा रही हैं। टके थे दस भी उन्हीं में से एक है। लेकिन इसमें लोकगीत की खुशबू है। उलटी गिनती में चलने वाला ये गीत अपने हर अंक में एक मस्ती समेटे हुए है। इसमें लोक जीवन की हंसी ठिठोली है और रोज़मर्रा के जीवंत चित्र हैं। सेठ जी का पात्र हमें उन सब चरित्रों से मिलवाता है जो कहीं छुपे रहते हैँ और दृश्य बनकर आते हैं।

जुगनू प्रकाशन 2021 अतनु राय