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कहानी नरम गरम दोस्ती, हाशियाकृत समुदाय के जीवन यथार्थ से अवगत कराती है। इसमें स्कूल में पढ़ने वाले दो बच्चों की दोस्ती का भावपूर्ण घटनाक्रम है। इस तरह की कहानियाँ बाल साहित्य में बिरले ही पढ़ने को मिलती हैं। भाषा के ज़रिए यह कहानी कई स्तरों पर तरह-तरह के अर्थ बनाती है और सोचने-विचारने व सवाल उठाने को बाध्य करती है। सहज सरल भाषा पाठक को जुड़ाव महसूस कराती है। किताब के चित्र कहानी के परिवेश, सन्दर्भ और कथानक को सहजता से उभारते हैं।
कहानी सशक्त है और समाज के उस वर्ग की परिस्थितियों के यथार्थ और मानवीय रिश्तों को दिखाती है जिनकी जगह आम बाल साहित्य में विरले ही मिलती है। कहानी में बच्ची का नाम मिट्टी ही बहुत कुछ कहता है। उसकी एक स्वाभाविक लेकिन असम्भव-सी इच्छा को पूरा करने के लिए माँ के सूझबूझ भरे जतन बच्चे के लालन-पालन की सीमाओं को एक अलग सन्दर्भ देते हैं । चित्र सहज सादगीपूर्ण और कहानी को बोलते-कहते लगते हैं। आठ पेज़ की एक रंगी छोटी-सी किताब कहानी के मामले में उम्दा है। बाल साहित्य में इस तरह की कहानियों का सादगी और सस्ते में आना सुकून देता है।
यह छोटी-सी किताब अंग्रेजी माध्यम में पढ़नेवाले कई बच्चों की आपबीती हो सकती है । छोटे- बड़े गाँव शहरों में अभिभावक बड़े उम्मीदों से से बच्चे को अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में दाखिल करते हैं, पर ज़्यादातर बच्चों के लिए भाषा अपरिचित होने के कारण पढ़ाई कठिन और नीरस हो जाती है। यह किताब गोंड बच्चों के माध्यम से, इसी समस्या को उजागर करती हैं।यह श्रृंखला सरल भाषा,सहज प्रस्तुति और सार्थक प्रयास का उदाहरण है , जिसपर छात्र और शिक्षकों के बीच चर्चा निहायत जरुरी है ।
मुस्कान’ संस्था की बहुत ही सरल और छोटी सी दिखने वाली यह किताब अति संवेदनशील मुद्दे पर केंद्रित है। आज जब इंसान ने सभी जीवों की जगह हथिया ली है, यह कहानी इस नज़रिये को प्रस्तुत करती है कि यह धरती दूसरे जीवों की भी है। हम अनजाने में ही उनके घर और क्षेत्र में घुसपैठ कर रहे होते हैं। छोटी सी यह कहानी आदिवासी जीवन और लैंगिक समानता को भी बड़ी सहजता से प्रस्तुत कर देती है।