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किताब का नाम: खत   
लेखक: सुमित पाटिल और रुपाली बार्गे
चित्र: सुमित पाटिल और रुपाली बार्गे
विधा: कथा (पिक्चर बुक )
प्रकाशक: एकलव्य , पृ-24, मूल्य – 55 रूपये

24 पन्नो की यह किताब एक छोटी बच्ची अपूर्वा की भावनाओं को बखूबी दर्शाती है। आज जब डाक की बजाय ई- मेल और मेसेज दुनिया में छा गए हैं तब यह किताब डाक की कहानी बच्चों को खत का सफर बतलाती है। एक खत की यात्रा के ज़रिये तमाम खतों के सफर की दास्तां बयां करती यह किताब काफी मजेदार तरीके से लिखी और प्रस्तुत कि गई है। लेखक और चित्रकार ने खतों में जीवन भरने की एक सफल कोशिश की है,जहाँ यह दर्शाने की कोशिश की है कि बच्चों की दुनिया काफी जीवन्त होती है। इस कहानी में भी अपूर्वा अपने खत को, जिसे उसने अपने दादा जी के लिए लिखा था, उनके जन्मदिन पर उन्हें भेजती है। वह उस खत से बातें करती है और उसका एक चेहरा बना कर उसको एक जीवन देती है। खतों का आपस में बात करना काफी मजेदार है,ऐसे संवाद बच्चों को काफी आकर्षित करतें हैं।

किताब की भाषा बहुत ही सहज है। कहानी के छोटे छोटे वाक्यों को बच्चे खुद भी पढ़ कर आनंद  उठा सकतें हैं  जैसे “अपूर्वा का ख़त डर गया और बाकी खतों के पीछे छुप कर बैठ गया“। चित्र आकर्षक है जैसे पत्रों का चेहरा होना और हर चेहरे पर अलग अलग भाव होना। बच्चें हर चीज से संवाद करते है – इसलिए पत्रों की आपसी बातचीत उनके लिए मजेदार अनुभव है । बच्चों  को पढ़ कर सुनाने के लिए यह एक अच्छी किताब है, बच्चों के साथ चर्चा करने की अच्छी सम्भावना बनती है क्योंकि की यह किताब एक स्वाभाविक जिज्ञासा का उतर देती है कि ख़त एक जगह से दूसरे जगह पहुँचते कैसे हैं, उन्हें इतनी दूर- दूर ले कौन जाता है इत्यादि ।  इस किताब के मदद से कक्षा में कई तरह की गतिविधियाँ भी करायीं जा सकती है।

स्वीडिश रचनाओं का गुलदस्ता: खुल जा सिम सिम

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पिछले महीने मैं उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में अपने काम के सिलसिले में गया था। एक सरकारी विद्यालय की लाइब्रेरी में एक मज़ेदार किताब मेरे हाथ लगी..

Navnit Nirav Parag Reads 27 December 2019

गिजुभाई के ख़जाने से आती गुजराती लोक कथाओं की खुशबू

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शिल्प और कथन के हिसाब से देखा जाय तो लोक-कथाएँ सम्पूर्ण जान पड़ती हैं। इन कहानियों को पहली पीढ़ी ने दूसरी पीढ़ी को, दूसरी ने तीसरी, तीसरी ने चौथी को सुनाया होगा…

Navnit Nirav Parag Reads 13 December 2019