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कांचा इलैया शेफर्ड एक महत्‍वपूर्ण लेखक हैं। उनकी रचना ‘माँ’ एक तरह से उनके भोगे यथार्थ की प्रस्‍तुति है। माँ किस तरह से अपने समाज को खड़ा करती है, कवि उसके संघर्ष को स्‍मरण करता हैा वह आरंभ उन परिस्थितियों से करते हैं जिनमें माँ रहती है । फिर ‘ माँ की दुनिया में’ अपनी खूबियोंवाला उसका पूरा समाज आता है, इसमें बाइंडला, मन्‍दहेज, गारडी, गंगी रेद्दू, शार्ता, जंगम और वीरप्‍पा जैसे लोग हैं। यह एक विविधतापूर्ण समाज है जिसकी अपनी विशिष्‍टताएं हैं लेकिन वह पटेल और पटवारियों से त्रस्‍त है। यहीं माँ की क्षमताओं का भी परिचय होता है कि वह उस समाज की चालाकियों को समझती है – माँ इनकी सारी की सारी चालें जानती है। अगली कविता ‘ माँ जानती थी’ में फिर से माँ के कौशलों का विस्‍तार है – खेत जोतती, बोनी करती, फसल काट लेती थी, पौध लगाना हो तो वो क्‍यारी बांट लेती थी। यानी यह माँ सिर्फ चौका बासा और लोरी वाली नहीं है बल्कि घर के बाहर के विविध चुनौतियों को झेलने में भी सक्षम है।

‘जब मैं हुआ’ की पंक्तियों में लेखक उपस्थित होता है और एक बार फिर माँ कैसे अपनी परंपरा से मोह होते हुए भी स्‍कूल की ओर आकर्षित होती है और बेटे को खुद खड़े होकर पाठशाला में दाखिला दिलाती है। यहां वह उस समाज के विरूद्ध खड़ी दिखती है जो आम लोगों के शिक्षा के खिलाफ हैं । लेखक को अफसोस होता है कि माँ आज उसकी लेखकीय उपलब्धियां देखने के लिए जीवित नहीं है।

अंतिम कविता ‘बोनालू के उत्‍सव में’ है । इस कविता में माँ के आत्‍मविश्‍वास, परंपरागत रूढि़यों के प्रति विद्रोह और उसके नेत़ृत्‍व की झांकी है। कवि ने यह बताने की कोशिश की है कि किस तरह स्त्रियों को परिवार और समाज के साथ दोहरी लड़ाई लडनी होती है । माँ इस तरह की जुझारू है कि हर विपरीत परिस्‍थ‍ितियों से लड़कर आगे बढ़ती जाती है – मेरे रास्‍ते में जो भी आएगा, अपनी हड्डियां पसलियां तुड़वाएगा, जिसमें दम है मुझे रोककर देख ले, चीर दूंगी उसे टोक कर देख ले। ये पंक्तियां माँ के अद्भुत आत्‍मविश्‍वास और संघर्ष क्षमता का बयान करती हैं।

हालांकि बच्‍चों के लिहाज से फोंट साइज थोड़ा बड़ा किया जा सकता था। इसी तरह अंतिम कविता की लंबाई ज्‍यादा है, जो उन्‍हें स्‍वपाठ करने से विकर्षित कर सकता है। लेकिन इसको आधार सामग्री बनाकर कक्षाओं में पाठ किया जा सकता है। यह कविता संग्रह एक कथा काव्‍य है। इसमें बिंबों की जगह विवरण है जो बच्‍चों को आकर्षित कर सकता है। ये विवरण बच्‍चों को अपने आस पास के समाज को देखने और समझने का मौका दे सकता है।

Maa

एक जुझारू माँ का संघर्ष गीत

कांचा इलैया शेफर्ड एक महत्‍वपूर्ण लेखक हैं। उनकी रचना ‘माँ’ एक तरह से उनके भोगे यथार्थ की प्रस्‍तुति है। माँ किस तरह से अपने समाज को खड़ा करती है, कवि उसके संघर्ष को स्‍मरण करता हैा वह आरंभ उन परिस्थितियों से करते हैं जिनमें माँ रहती है।…

Lalbahadur Ojha Parag Reads 6 September 2019

Hanna Ka Suitcase

हाना का सूटकेस यानी मनुष्‍यता के लिए संदेश

हाना एक शिक्षिका बन गई थी, क्योंकि उसके कारण – उसके सूटकेस और उसकी कहानी के कारण हजारों जापानी बच्चे उन मूल्यों को सीख रहे थे…

Lalbahadur Ojha Parag Reads 23 August 2019