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यह नाटक की किताब है जिसे एकलव्य प्रकाशन ने पब्लिश किया है| यह किताब चकमक मे प्रकाशित नाटकों का संकलन है जो अलग अलग समय चकमक मे प्रकाशित हुए| इसमे तीन नाटक है–“हड्डी” जिसे लिखा असगर वसाहत ने, “शास्त्र देखो शास्त्र” जो पंचतंत्र की एक कहानी का नाट्य रूपांतरण है जिसे लिखा है भारत रत्न भार्गव ने, “पुस्तक हांड़ी” जिसे लिखा है सुधाकर प्रभु ने| तीनो लेखक जाने माने कहानीकार, नाटककार एवं उपन्यासकार है| यह किताब ४४ पन्नो की है और किताब का मूल्य मात्र ३२ रुपये है| बच्चो के लिए नाटको की किताबे बहुत ही कम है, ऐसे नाटक बहुत ही कम देखने को मिलते है जिन्हें न केवल बच्चो को खेलने में मजा आता है बल्कि साथ ही साथ उनमे बच्चे के मन की बात कही गयी हो|
यह नाटक जितने बच्चो के लिए है उतने ही कारगर वह बड़ो की लिए भी है| हड्डी नाटक आज की सामाजिक स्थिति को बड़े ही सटीक तरीके से दिखाता है| बिल्ली और चूहे के रूपक को लेकर नाटक रचा गया है| इसके हर पन्ने पर खुबसूरत चित्र बने है जो बहुत ही सटीक तरीके से लिखे हुए को दर्शाते है| हड्डी ताकत को दर्शाती है जिसके पास भी ताकत आ जाती है वह अजीब ढंग से व्यवहार करने लगता है और अपने साथियों को भूल जाता है जिनके कारण ताकत होती है वह अपने ही साथियों पर अत्याचार करता है| आगे क्या होता होंगा नाटक में यह आपको पढने पर ही पता चलेगा|
शास्त्र देखो शास्त्र इसमे किताबी ज्ञान कैसे उपयोग में नहीं आता इस पर प्रकाश डाला है और समज के साथ सिखने सिखाने पर जोर दिया है| इस नाटक में चार पात्र है जो हर बार समस्या आने पर शास्त्र निकलते, समस्या का हल खोजने का प्रयास करते है लेकिन हर बार वह फस जाते है|
पुस्तक हांड़ी नाटक भी अत्यंत रोचक है, इस नाटक का कथानक बच्चो का कहानियों के किताब के प्रति जो प्यार है उसके इर्द गिर्द है|
इस किताब के साथ पाठक रंगमंच की गतिविधि कर सकते है| यह किताब हर लाइब्रेरी का हिस्सा होनी ही चाहिए|
स्वीडिश रचनाओं का गुलदस्ता: खुल जा सिम सिम
पिछले महीने मैं उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में अपने काम के सिलसिले में गया था। एक सरकारी विद्यालय की लाइब्रेरी में एक मज़ेदार किताब मेरे हाथ लगी..
गिजुभाई के ख़जाने से आती गुजराती लोक कथाओं की खुशबू
शिल्प और कथन के हिसाब से देखा जाय तो लोक-कथाएँ सम्पूर्ण जान पड़ती हैं। इन कहानियों को पहली पीढ़ी ने दूसरी पीढ़ी को, दूसरी ने तीसरी, तीसरी ने चौथी को सुनाया होगा…