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What first attracted me to the book was the nice red color cover page with the doodle of a sad boy on it. The first few pages of the book give…
मानवता की यह कहानी, एक ऐसे व्यक्ति के बारे में है जिसकी ज़िन्दगी की जरूरतें काफी कम थीं, वह कुछ बुनियादी जरूरतों के साथ एक सीधी सादी जिन्दगी जीता था। वह एक एक विनम्र, कृतज्ञ, क्षमाशील इंसान था।…
कुछ दिन से बच्चों के साहित्य में अलग-अलग तरह के विषयों पर लिखा जाने लगा है – जैसे की मृत्यु, विकलांगता, अलगाव, थर्ड जेंडर इत्यादि। यह ऐसी स्थितियां हैं जो बहुतेरे बच्चों के अनुभवों में होती हैं।
आखिर नेपो ने साडी का क्या किया ?
“आखिर नेपो ने साडी का क्या किया?” एक मजेदार पिक्चर बुक है, जिसमें लेखिका ने कहानी को एक खास तरह के तुकबंदी के रूप में प्रस्तुत किया है| लेखिका ने कहानी को बड़े ही अच्छे तरीके से हर पन्ने पर चार चार पंक्तियों में लिखा है| सरल भाषा के इस्तमाल से यह किताब बच्चों के लिए बहुत बढ़िया है लगती|
24 पन्नो की यह किताब एक छोटी बच्ची अपूर्वा की भावनाओं को बखूबी दर्शाती है। आज जब डाक की बजाय ई- मेल और मेसेज दुनिया में छा गए हैं तब यह किताब डाक की कहानी बच्चों को खत का सफर बतलाती है। एक खत की यात्रा के ज़रिये तमाम खतों के सफर की दास्तां बयां करती यह किताब काफी मजेदार तरीके से लिखी और प्रस्तुत कि गई है।
आज स्कूल में तीसरी कक्षा के बच्चों को “नाव चली” कहानी सुनाने की मेरी योजना थी, और उसकी पूर्व तैयारी भी मैंने कर ली थी, क्या करना है, क्या सुनाना है या क्या पूछना है, ये सोचते हुए मैं लाइब्रेरी पहुंची – जैसे ही मैं वहाँ पहुंची बच्चों ने बड़े ही उत्साह के साथ मेरा स्वागत किया और पूछा आज कौन सी कहानी आप सुनाएंगी?
यह किताब एक चित्र और शब्द पहेली की किताब है| जिसमे कोई तय कहानी नहीं है बल्कि हर बच्चा अपनी कल्पना और तर्क के मुताबिक इसको गढ़ सकता है| यह किताब बच्चों के कल्पना और तर्क शक्ति को तो बढाती ही है साथ ही उनको नए शब्द तलाशने को भी प्रेरित करती है|
जाफ़ता एक छोटे से लड़के की कहानी है, जो एक अफ्रीका के एक गांव में पल-बढ़ रहा है। जफ़ता जो अपनी रोज़ के भावनाओ और मूड की तुलना विभिन्न जानवरों के हाव भावसे करता है। जैसे – “जब मैं थका हुआ हूं, मुझे धुप में एक छिपकली की तरह पड़े रहना पसंद है”, बड़ी मजेदार बात है न सिर्फ उसे जानवर पसंद हैं बल्कि वह उनकी मनोदशा भी समझाता है।
मैं गुड़िया हूँ, मेरा यही नाम है और यही मेरी पहचान भी। आमतौर से मेरा साबका बच्चों से ही रहा है खास कर बच्चियों से,मुझे बनाने वाले भी अक्सर यही सोच कर हमें बनाते हैं ।
सिरोही जिले के आबू रोड ब्लॉक में अर्ली लिटरेसी प्रोजेक्ट के तहत 10 राजकीय विद्यालयों की प्राथमिक कक्षाओं में बच्चों के साथ लाइब्रेरी कार्य करने के दौरान टैबलेट आधारित ई-पुस्तकों के संकलन (ई-रीडर) का अनुप्रयोग हुआ l