Loading...

भोपाल,नवंबर 24, 2017.

टाटा ट्रस्ट्स की पहल ‘पराग’ द्वारा आज शहर में पुस्तकालय क्षेत्र में कार्यरत प्रैक्टिशनर्स के व्यावसायिक विकास लिए चलाये जा रहे अनूठे लायब्रेरी एजुकेटर्स कोर्स (एलइसी) के सफल समापन की घोषणा की गई. इस कोर्स में आठ राज्यों से प्रतिभागियों ने नामांकन करवाया था जिनमें मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, उड़ीसा, दिल्ली तथा गुजरात शामिल हैं.
एक प्रोफेशनल डेवलपमेंट कोर्स के तौर पर एलईसी को ‘टाटा ट्रस्ट्स’ द्वारा विकसित किया गया है और भोपाल में इसे ‘हिंदी’ भाषा में प्रस्तुत किया जा रहा है. लाइब्रेरियंस, शिक्षकों तथा अन्य पेशेवरों के लिए डिजाइन की गई यह पहल बच्चों के लिए एक उन्मुक्त और रचनात्मक लायब्रेरी की स्थापना और संचालन के मुद्दे को केंद्र में रखती है. एलईसी को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि यह पेशेवरों को ऐसी लायब्रेरी की कल्पना करने को प्रेरित करती है जो सभी बच्चों के लिए एक उन्मुक्त तथा रचनात्मक स्थान के तौर पर साकार हो सके. इसके तीसरे संस्करण में इस कोर्स में ऐसे 30 प्रतिभागियों का नामांकन किया गया जो विभिन्न एनजीओ के जरिये ग्रामीण जनजातीय या शहरी गरीब क्षेत्रों/निचली बस्तियों में कार्यरत हैं और लायब्रेरी के साधनों के साथ बच्चों तथा स्कूल लायब्रेरियंस में पढ़ने की रूचि को बढ़ावा देकर स्कूली शिक्षा के स्तर को और सुधार के लिए काम कर रहे हैं. 

ड्युअल मोड में आयोजित इस कोर्स में कॉन्टैक्ट सेशंस (सम्पर्क सत्र) तथा दूरस्थ शिक्षा शामिल है. 7 माह की अवधि का यह कोर्स प्रतिभागियों को निम्न बिंदुओं में सक्षम बनाता है-

  • शिक्षा के क्षेत्र में लायब्रेरी/पुस्तकालय की महत्वपूर्ण भूमिका को समझना और बच्चों का पुस्तकों के साथ जीवनभर का रिश्ता कायम करना

  • अपने शैक्षणिक प्रयासों में निहित लायब्रेरी कार्यों के लिए एक व्यावसायिक दृष्टी का विकास और संवाद करना

  • बच्चों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले साहित्य की पहचान करना और उससे जुड़ना

  • यूजर्स/उपयोगकर्ताओं से मिलने वाली प्रतिक्रियाओं पर ध्यान देने के साथ स्कूलों और प्रोग्राम साइट्स के लिए लायब्रेरी कलेक्शन की संभाल करना

  • किताबों से जुड़ी सार्थक गतिविधियों के संचालन द्वारा बच्चों के लिए साहित्य को जीवंत करना

  • बच्चों के विशिष्ट संदर्भों और अलग अलग रुचियों के हिसाब से प्रतिक्रिया देना

  • स्कूलों तथा सामुदायिक स्थलों पर बच्चों के लिए जीवंत पुस्तकालयों की स्थापना और संचालन करना

  • कार्यान्वयन योजनाओं का विकास करना तथा लायब्रेरी क्षेत्र में कार्यरत स्टाफ को ऑन-साईट सहायता की पेशकश करना

  • निरंतर पुस्तकालय के उपयोग को सुनिश्चित करने हेतु माता-पिता तथा विभिन्न समुदायों की मदद से रणनीति बनाना

  • लायब्रेरी के काम के संदर्भ में जानकार और प्रभावी प्रोग्राम मॉनिटरिंग सिस्टम डिजाइन करना

  • देशभर में लायब्रेरी एजुकेटर्स के समुदाय के साथ नेटवर्क स्थापित करना

इस संबंध में जानकारी देते हुए, सुश्री अमृता पटवर्धन, हेड एजुकेशन एन्ड स्पोर्ट्स,टाटा ट्रस्ट्स, ने कहा-‘टाटा ट्रस्ट्स की पहल ‘पराग’, बच्चों के बीच पढ़ने को बढ़ावा देने के विचार पर केंद्रित है. लायब्रेरी एक ऐसा स्थान है जहाँ बच्चे किताबों के अच्छे संग्रह के साथ जुड़ते हैं. जीवंत पुस्तकालयों को पेशेवर प्रशिक्षित शिक्षकों की आवश्यकता होती है जो अच्छे किताबों के संग्रह के साथ बच्चों को जोड़ने की महत्ता को समझ सकें और जिनमें ऐसा कौशल व दृष्टि हो जो विभिन्न रुचियों वाले शिक्षार्थियों के लिए लायब्रेरी को सक्रिय बना सकें। इस कोर्स के जरिये, हमारा लक्ष्य इस क्षेत्र में आये अंतर को दूर करना है और इस सिलसिले में इस बैच के हिस्से के तौर पर 29 कुशल और प्रशिक्षित शिक्षकों के कैडर का निर्माण करने पर हमें गर्व है.’

इससे आगे जानकारी देते हुए, सुश्री अजा शर्मा, फैकल्टी तथा लीड- लायब्रेरियंस एन्ड कैपेसिटी बिल्डिंग, पराग इनिशिएटिव, टाटा ट्रस्ट्स ने बताया-‘भोपाल को इसकी समृद्ध संस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है और यह भारत में कलाकारों के केंद्र के रूप में भी ख्यातिप्राप्त है. यही कारण है कि हमने एक वर्ष पूर्व हमने भोपाल में इस कोर्स को आरम्भ किया। एक बच्चे को सामाजिक-सांस्कृतिक अनुभवों से समृद्ध करने के लिए यह आवश्यक है कि लायब्रेरी एजुकेटर्स तथा शिक्षक संदर्भों का निर्माण करें और पढ़ने तथा किताबों के बीच में एक रचनात्मक संबंध बनायें। हमें आशा है कि इस कोर्स के जरिये हम उच्च गुणवत्ता वाले लायब्रेरी एजुकेटर्स के एक कैडर को प्रस्तुत करने में सक्षम होंगें, ऐसे एजुकेटर्स जो कम उम्र में ही बच्चों के समग्र विकास में योगदान देंगे तथा इन सकारात्मक लायब्रेरी से जुड़े अनुभवों को उन बच्चों के लिए उपलब्ध कराने में सक्षम होंगे।’

पहली पीढ़ी के शिक्षार्थियों के बड़े प्रतिशत के लिए, स्कूल लाइब्रेरीज बच्चों के साहित्य तक पहुँच बनाने का सर्वोत्तम स्रोत होती हैं. हालाँकि, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब भी करीब 74 प्रतिशत स्कूलों में फंक्शनल लाइब्रेरीज नहीं हैं (वैल्यूनोट्स, 2013 के अनुसार). शिक्षा से जुड़े शोध भी बच्चों के पाठ्यपुस्तकों तथा कोर्स संबंधी मटेरियल के अलावा अन्य अच्छी पुस्तकों तथा रीडिंग मटेरियल से जुड़ने के महत्व पर जोर देते हैं, ताकि उनकी पढ़ने के दायरे में विविधता आये और उनकी कल्पना में विस्तार हो.

पराग, के बारे में:

पराग, टाटा ट्रस्ट्स का फ्लैगशिप कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य उच्च गुणवत्ता वाली पुस्तकों की उपलब्धतता तथा उन तक उन तक पहुँच बनाने में सहायता कर साहित्य को हर बच्चे के जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाना है. यह पहल भारतीय भाषाओं में बच्चों की पुस्तकों तथा साहित्य के विकास एवं प्रसार का समर्थन करती है. यह अपने सहयोगियों के साथ मिलकर साक्षरता का समर्थन करने एवं किताबों से बच्चों के सार्थक जुड़ाव के जरिये सीखने में मदद करने के लिए लाइब्रेरीज को नया रूप देने का काम करती है. बच्चों के बीच पढ़ने और सीखने के प्रति जीवनभर की रूचि जागृत करने के उद्देश्य से ‘पराग’ क्षमता निर्माण पाठ्यक्रम तथा मॉड्यूल्स की पेशकश करती है जो कि लायब्रेरियंस शिक्षकों तथा लायब्रेरी एजुकेटर्स को लायब्रेरी की एक ऐसे इनोवेटिव और क्रिएटिव जगह के तौर पर कल्पना करने में सक्षम बनाते हैं जो सक्रीय तथा उन्मुक्त हों.

टाटा ट्रस्ट्स के बारे में:

इस वर्ष अपनी 125 वीं वर्षगांठ का जश्न मना रहा ‘टाटा ट्रस्ट्स ‘ भारत के सबसे पुराने गैर-साम्प्रदायिक परोपकारी संगठनों में से एक है, जो सामुदायिक विकास के कई क्षेत्रों में काम करता है. स्थापना के बाद से ही, टाटा ट्रस्ट्स ने परोपकार के पारम्परिक विचारों में बदलाव लाने में अग्रणी भूमिका निभाई है, ताकि जिन समुदायों को सेवा दी जा रही है उनके जीवन में प्रभावपूर्ण, स्थाई परिवर्तन किये जा सकें। अपनी योजनाओं को प्रत्यक्ष तौर पर लागू करते हुए, साझेदारीयुक्त रणनीतियों और अनुदान के जरिये इस ट्रस्ट्स ने शिक्षा, स्वास्थ्य तथा पोषण, ग्रामीण आजीविका, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के क्षेत्रों में इनोवेशन के साथ काम करते हुए समर्थन दिया और नागरिक समाज तथा प्रशासन एवं मीडिया, कला, शिल्प और संस्कृति को बढ़ाने का काम किया है. टाटा ट्रस्ट्स, निरंतर इसके संस्थापक जमशेतजी टाटा के सिद्धांतों के मार्गदर्शन में कदम बढ़ा रहा है और उनके सक्रिय परोपकार की दृष्टि के द्वारा, यह ट्रस्ट्स सामाजिक विकास में उत्प्रेरक की भूमिका का निर्वाहन कर रहा है, यह सुनिश्चित करते हुए कि तमाम पहल और हस्तक्षेपों का राष्ट्रहित से सीधा संबंध है.
अधिक जानकारी के लिए कृपया विजिट करें: http://tatatrusts.org/

Reigniting the Love for Reading

On the first day of my job at Ankur, a comprehensive residential education programme, I was taken around the campus by a staff member…

Suparna Chattarji kitablet 29 Nov 2017